आज जब खुद को अकेले पाया,
तो देखा कि अकेला होते हुए भी कोई है,
जो मेरे समीप है और वो अपने होने का अहसास दे रहा है
जब ध्यान दिया तो पाया की वो मेरा अकेलापन था,
जो मुझसे मुँह फेर कर बैठा था,
शायद नाराज़ था मुझसे
और नाराज़ हो भी क्यों न,
नजरअंदाज जो किया गया हमेशा ,
हमेशा अपने अकेलेपन से दूर ही भागता रहा,
लेकिन आज भागने का वक़्त नहीं था
फिर जब खुद से नाराज़ बैठे उस अकेलेपन से क्षमा मांग उसके पीठ पर जैसे ही मैंने हाथ रखा
वो मेरे गले से लिपट गया ,
और लिपटे भी क्यूं न
उसका हमारे सिवा है ही कौन ,
अपने अकेलेपन के साथ हम नही रहेंगे तो और कौन रहेगा 
फिर उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया ,
फिर मेरे अंदर से सभी मलिन , अप्रिय, अपवित्र विचार वो सब अपने अंदर लेने लग गया ।

आज एक चीज तो समझ आ ही गई
अकेला मन शैतान का घर हो सकता है लेकिन
वो मन वाले शैतान घर की सफाई हमारा अकेलापन ही करता है ।

थोड़ा वक्त बिताइये अकेलेपन के साथ
आपके अकेलेपन को आपकी नहीं वरण आपको जरूरत है आपके अकेलेपन की !! 🌷🌻

☆ Photo taken by me.

Jai Shri Hari 🌼