।।श्री हितं वन्दे।।
।।श्री राधावल्लभो विजयते।।
।।नमो नमो गुरु कृपा निधान।।
।।श्री हरि भगवान की जय।।
आप सभी भक्त वृंद को दंडवत प्रणाम।
श्री गुरु चरण कमलों को स्मरण कर आज एक और अमृत वचन हम जीवन में उतारेंगे।
- मनोरंजन में समय नष्ट मत करो, अभी बहुत बड़ी मंजिल (भगवतप्राप्ति) तय करना है।
जब हम जीवन की लौकिक यात्रा भी तय करते है तो हमारा यही लक्ष्य होता है कि हम अपनी मंजिल तक पहुंचे जल्दी से जल्दी। हां बीच में दृश्य आते है मनोहारी हम रुकते भी है देखने के लिए (यदि मंजिल ज्यादा जरूरी नहीं तो हम बीच में रुकते या फिर हमारे पास बहुत समय हो तब हम रुकते है)। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम वही रुक जाएं, लक्ष्य तो मंजिल तक पहुंचना ही है।
अब ये तो थी लौकिक यात्रा की बात जहां हमारे पास समय है नष्ट करने को बीच के दृश्यों में।
भगवतप्राप्ति, ये यात्रा तो जीवन की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा है, महत्वपूर्ण कहना ठीक नहीं वास्तव में यही जीवन है। इस यात्रा में हमारे पास कितना समय है पूरा करने को ये हमें स्वयं ही नही पता। इसलिए जब पता ही नहीं समय कितना है तो बीच में नष्ट ही क्यों करना। इसलिए बीच के मनोरंजनों का त्याग करके लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए।
।।जय श्री हरि।।
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