प्यार है एक ऐसी चाहत, जिसे हर इंसान है चाहता|
न यह गलत,ना नामुमकिन,
ना ही प्यार है बहुत महंगा!
फिर आखिर क्यों इस भाव की इतनी कमी है?
आखिर क्यों सब की खुशी इसकी कमी से ही थमी है?
है ढूंढता जो कोई इसे अपने रिश्तों से बाहर,
आखिर क्यों खुद के कुटुंब से इसकी अभिव्यक्ति में कमी है?
ऐ इंसान ग़र तू चाहे तो एक जीवन साथी भी अकेला,
दे सकता है तुझको प्यार, दोस्ती और खुशियों का मेला|
फिर क्यों वो जीवन साथी, है आज इतना अकेला?
जबकि तुम लगाए बैठे हो बाहर दोस्तों का मेला!
हार कर वो तेरा प्यारा सा, सच्चा सा साथी,
खुश होने को और छोड़ने को रिश्ते में मिली उदासी,
निकलता है बाहर ढूंढने कोई रास्ता,
बेपरवाह हुए दोनों और बिखर जाता है वो रिश्ता|
बढ़ता जा रहा है आज यह टूटते रिश्तों का कारवां,
सामाजिक नींव की जड़ें दे सकता है यह हिला!
मन से पूछा मैंने आखिर क्यों और क्या है रास्ता?
जिससे बन सके बेहतर आज के रिश्तों की दास्तां|
मन बोला की शायद है पला, ऐसे माहौल में आज का हर व्यक्ति,
जहां नहीं वह सीख पाया अपनों से प्यार की अभिव्यक्ति!
अच्छी परवरिश से ही जुड़ा है सफल रिश्तों का रास्ता,
सजग हों मां बाप सभी, संतान के खर्चों से ही सिर्फ ना हो उनका वास्ता!
दें साथ और प्यार अपनी संतानों को,
ना देकर उन्हें केवल उपहार|
प्यार, विनम्रता और सच्चाई की, बनें उनके लिए मिसाल|
ताकि एक सभ्य व खुशहाल समाज का,
वे भी कर सकें आगा़ज़!
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