I wrote this poem few days back when sizzling wind were flowing in the mountains of beautiful Dhauladhar Ranges…..
हवाओं की ठंडक में यादों की गर्माहट है,
आंखें बंद कर सुनाई देती उनकी आहट है।
झिलमिलाती रात में बातें जो की कभी,
हर बात हवाएं याद दिला रही हैं अभी।
आज अपना ही अक्ष देख रहा हूं उसमें,
जो गुज़र रहा उस राह से जिससे गुज़रे हैं हम कभी।
सर्द रात में भी तेरी बातें मां के आंचल सी थी,
रो कर शुरू हो कर हंसते हुए फोन रखते थे कभी।
आज हवाएं यादों का मंजर तो लाई हैं,
लेकिन हवाएं कहां जानती कि बात होती ही नहीं अभी।
हवाएं उनकी यादों को तो ले आती हैं,
लेकिन उनको साथ लाना भूल जाती हैं।
To aapki kyaa kahaani hai in Hawaaon ke saath?
Ye ham hawaon ka Aanand lete huye…
Please avoid my bestie…. 😂😂😂😂
Naa Dekhne ki Cheez hai hamara dost……
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