जैसे ही माँ ने आवाज़ लगाई थी , मैं जाग चुका था …लेकिन बिस्तर छोड़ने का मन नहीं हो रहा था ..पेट के बल लेटा रहा , निगाहें फर्श पर टिका दी और देख रहा था कि चीटियां अपनी कतार बनाकर ….एकदम अनुशासन से अपने काम पर निकल चुकी हैं ।। फिर माँ की आवाज़ मेरे कानों में पहुँची …फिर मैंने करवट बदली और कुहनी को तकिए पर टिका दिया और खिड़की से बाहर आसमान की तरफ आधे मन से भागते बादलोँ को देखने लगा !!
जब माँ का सब्र टूटा तो मेरे कमरे में चली आयी तबतक मैं उठ कर बैठ चुका था । सुबह के 7 बज रहे थे !
माँ ने बोला – इतनी चिंता क्यों करते हो , ऐसे चिंता करने से जीवन चल जाएगा तुम्हारा ?
मैंने अपने चेहरे पर पानी मारा और बाहर की तरफ निकल गया । कुछ दूर जाते ही बगल वाले चाचा ने आवाज़ लगाई – कहाँ जा रहे हो , आओ चाय पिलो !
मैं रुक गया और उनके साथ ही खाट पर बैठ गया! बगल में चाचा का बेटा , जो 2-3 साल का रहा होगा वो खेल रहा था ! फिर जैसे ही चाय आयी, चाचा के बेटे ने दौड़ कर चाय की कप अपने हाथों में ले लिया ..और धीरे धीरे चाय पर नज़र गड़ाए ..चाय देने के लिए अपने पापा के तरफ बढ़ने लगा , 2-3 मीटर का फासला रहा होगा तभी उसके पैर ईंट से लगी जो समतल जमीन से थोड़ी उठी हुई थी और फिर वो धड़ाम से गिरा और चाय के साथ वो भी जमीन पर पसर गया …(शायद बच्चों में इतनी समझ जरूर होती है कि वो अपनी गलती पर नहीं रोते हैं ) और बिना देरी किये वो उठा और जो कुछ कप में बची-खुची चाय थी वो अपने पापा को दे दिया और उसके पापा ने उस बच्चे के उत्साह को बढ़ाने के लिए ..मुस्कुराते हुए बचे-खुचे चाय का आनंद लिया !!
अचानक इस घटने के बाद मेरे अंदर स्फूर्ति सी आ गयी , ये स्फूर्ति चाय की नहीं हो सकती थी …..मुझे ऐसे लगा जैसे मुझे अपने सवालों का जबाब मिल गया हो । मेरी उम्र 31 साल की हो चुकी थी और मुझे लगने लगा था कि मेरे जीवन में कुछ खास बचा नहीं है और जैसे मैंने हिम्मत हारने की योजना बना ही ली थी !
लेकिन अब जरूरत थी खुद के दृष्टिकोण बदलने की जैसे उस बच्चे ने गिर जाने के बाद भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और कप में जितनी चाय बची थी उसको उठा कर बिना अफसोस किये और वक़्त गवाएं कप लेके आगे बढ़ गया ।
बस मेरे जीवन में भी यही था …जो बीत गया उसको लेके क्या अब अफसोस करना , अब सिर्फ नज़र होनी चाहिए जो बचा है ..जैसे गिरने के बाद उस कप में बची चाय !
” बस अब बात यही थी कि जो खो गया था उसे भूल जाना और जो बचा था उसके साथ आगे बढ़ना ”
फिर मैं खुशी-खुशी अपने बचे जीवन को लेके..और इस बचे हुए जीवन के साथ कुछ सार्थक करने का दृढ़ निश्चय करके वहां से घर चला आया !! 🍃
ー Dhiraj Pashupati
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