• एक भजन मेरी रग रग में…

 

मन्ना सांवरे नू किस तरह पाई दा…..

पहलाँ अपना आप गँवाई दा
फिर सांवरे दा दर्शन पाई दा….

फुल कैन्दा मैंनु माली ने तोड़या
मार सुई मैंनु धागे च पिरो लया
जी मैं फेर वी कुछ नई बोल्या
जी मैं फेर वी मुँह नहीं खोलया

हार बन के ते शाम अगे जाईदा

मैंनु सांवरे ने गल विच पा लया
मैंनु सांवरे ने अपना बना लया

मन्ना सांवरे नू ऐस तरह पाई दा…..

दुध कैन्दा मैंनु ग्वाले ने चो लया
पा मटकी च मैंनु बिलो लया
जी मैं फेर वी कुछ नहीं ओ बोल्या
जी मैं फेर वी मुँह नहीं खोलया

मखन बन के ते शाम अग्गे जाइदा

मैंनु सांवरे ने भोग लगा लया
जी मैंनु सांवरे ने अपना बना लया
मन्ना सांवरे नू ऐस तरह पाई दा…..

बांस कैन्दा मैंनु जंगला चो पुट्टीया
मार मार के ते खाली कर सुट्टीया
जी मैं फेर वी कुछ नहीं ओ बोल्या
जी मैं फेर वी मुँह नहीं ओ खोलया

बंसी बन के ते शाम अग्गे जाइ दा

मैंनु सांवरे ने होंठा नाल ला लया

जी मैंनु सांवरे ने अपना बना लया

मन्ना सांवरे नु ऐस तरह पाईदा……

 

सोना कैन्दा मैंनु भट्ठी विच सुटया

ताप ताप के जी लाल कर सुट्या

जी मैं फेर वी कुछ नहियो बोल्या

जी मैं फेर वी मुख नहीं खोलया

 

मुकुट बन के ते शाम अग्गे जाईदा

 

मैंनु सांवरे ने सिर ते सजा लया

जी मैंनु सांवरे ने अपना बना ल्या

मन्ना सांवरे नु ऐस तरह पाईदा

 

पहला अपना आप गवाई दा

फेर सांवरे दा दर्शन पाईदा

 

 

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