अतीत की लेखनी से, आप सब के लिए…
जब मैं 22 साल की थी तब लिखा था कुछ ऐसा
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थोड़ा सा बस थोड़ा सा
बहका जाए थोड़ा सा………
🍷🍷🍷🍷🍷🍷
न कोई मंजिल न ही राही
न मौजें न साहिल है
फिर भी आज भरम के पीछे
दौड़ा जाए थोड़ा सा
थोड़ा सा बस थोड़ा सा, बहका जाए थोड़ा सा…
🍸🍸🍸🍸🍸
शायद कोई भा जाये कित
शायद नजरें बात बनाएं
ये शायद का मधुर गीत ही
जोड़ा जाए थोड़ा सा
थोड़ा सा बस थोड़ा सा, बहका जाए थोड़ा सा..
🥂🥂🥂🥂🥂🥂🥂
तन्हा मन लज्जत का आशिक
लाख जतन करूँ हाथ न आये
इस गफ़िल को बिना डोर के
छोड़ा जाए थोड़ा सा
थोड़ा सा बस थोड़ा सा, बहका जाए थोड़ा सा
🍷🍸🍹🍺🍻🥂
By the way I am a teetotaller😄😄😄😄
The above lines came out from a very different level. शायद उस समय के मन की ग…. ग….. ग…… गहराईयों से 😄😄😄😄😄😄
Hope this brought a smile on your beautiful face🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
हरि बोल 🌹🌹🌹🌹
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