🌺जय श्री हरि🌺
सारी पैकिंग और तैयारी के बाद में मम्मी के पास बैठकर यू-ट्यूब में एक विलेज फ़ूड चैनल में कटहल की रेसिपी देख रहा था| तभी मेरे घर मे काम करने वालीं चाची आईं ,वो घर का काम जैसे बर्तन धुलना, मिट्टी के घर मे गाय के गोबर से लिपाई करना और छोटे -मोटे काम जो मेरी माँ करने में असमर्थ है उसमें हाथ बटाया करती हैं| स्वभाव से तेज हैं और अपने परिवार के लालन पोषण का जिम्मा खुद उठाती हैं| मेरा मजदूर वर्ग और ऐसे काम करने वालों से सहज लगाव है जिसका कारण है उनकी जीवटता और परिश्रम का होना, वो मेरे घर का ज़्यादातर काम करतीं इसलिए उनसे लगाव होना स्वाभाविक हैं, मैं प्यार से उन्हें चाची कहता हूं और वो घर मे हैं तो मैं उनके चाय-पानी के प्रबंध का ध्यान रखता हूँ| अमूमन तो होता ये था कि, जब मैं सो के उठता था तब तक वो सुबह काम कर के चली जाया करतीं थीं, किंतु पिछले महीने भर में एक अनुष्ठान के चलते और मां के पैर में चोट लगने के कारण 24×7 मुझे घर मे ही रहना था, इस दौरान मुझे समझ मे आया कि मां दिन भर कितना काम करती थी, सुबह से मेरी परेड शुरू होती रात 10 तक भागना पड़ता ,इस दरमियान मेरा उनसे एक अच्छा संबंध बन गया था। वो मेरे पूजा के पूर्व हवन कुंड को साफ़ करतीं उसे गाय के गोबर से लेपतीं, वो बर्तन साफ करतीं और सारा हाल-चाल सुनाती ।यद्यपि मेरी गॉसिप में कोई रुचि नहीं थी लेकिन उनकी नादानी और चपलता में मुझे आनंद आता था | मैं उनकी लाइव ब्राडकास्टिंग बड़े चाव से सुनता और बीच-बीच में hmm hmm कर के उनकी गति को एक्सिलरेट कर देता था😁| इस तरह दिन भर में दोनो मीटिंग में वो मुझे अपना सुख-दुख सुनातीं , कभी -कभी मुझे इतनी गफ़लत हो जाती की मुझे लगता मैं पूरी तरह से औरत ही हो गया हूँ😬😬 दिन भर है काम और फिर पूजा की बैठक 😥| लेकिन एक बात ने मेरे दिल को तसल्ली दी और मुझे स्वामी जी की एक बात याद आयी कि ,”केवल मंत्र जप या ध्यान साधना नहीं है, वो त्तो एकतरह की साधना है असली चुनौती तो संसार के उपादानों से हैं” , इस स्मृति से मुझमे ढांढस आया और मैं दुगुने उत्साह से अपने काम मे लग गया| मेहनत के दिन भी गुजर गए और माँ की सेेेेहत भी पहले से बेहतर हो रही थी, मेरी पूजा भी सम्पन्न हुई और फिर एक दिन जब मेरी जाने की बारी आई तो उसी वक़्त चाची भी आ धमकीं।
चाची- आज तैयारी है का लाला ।
मैं – हां ,चाची।
बस इतना संवाद ही हुआ कि उनके चेहरे का भाव बदलने लगा इतना कहते ही वो रोने लगीं ,मैं किसी तरह से माँ का ध्यान इधर-उधर कर रहा था कि ये न रोएं पर चाची ने आकर सब प्लान में पानी फेर दिया, माफ़ कीजिये ‘आंसू फेर दिया’😢😢 । दो औरतें जिनके बेटे घर से बाहर रहते हैं उनके बीच के सारे स्तर हट गए न वो मालकिन रहीं और न ही ये काम करने वाली रहीं , करुणा ने इन दो के मध्य ऐसी नाव साजी जिसमे दोनी ही ममता की नदी में एक छोर से दूसरी ओर बह गईं। मैं क्या करता स्तब्ध इस दृश्य को देख रहा था।
धीरे से मन मे एक आवाज़ कह गयी , “सुनो ! औरत यूं ही देवी नहीं कहलाती”
“या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यैः नमो नमः”
जय श्री हरि🌺🌺🕉️⚛️🙇
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