||श्री राधा ||
मैं आशा करता हूं आप सभी स्वस्थ एवं सकुशल होंगे आज की कविता की रचना पता नहीं किस तरीके से हुई परंतु जो भी है यह है रचना का कोई कारण नहीं है परंतु यह स्वत: ही अपने आप मुझसे लिखती चली गई और कुछ लाइनें तैयार हो गई पता नहीं यह कैसी है अच्छी है या बुरी है मुझे नहीं समझ आ रहा है पर भाव अपने आप आते गये और यह लिखती चली गई मैं आशा करता हूं आप सभी को पसंद आए…..
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
तूं रहें मेरे सामने बस इस दिल की है इतनी आश…..
तूं रहें मेरे बीच में, जैसे पवन चलती हों साथ….
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
तूं बारिश की बूंद है, मैं बनना चाहता हूं प्यास….
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
तूं उठें तो सूरज जागा हो, तेरे बिन दिन भी न आधा हो…..
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
तूं बोले मैं बस सुनता जाऊ , तूं रो दे तों मैं तुझे मनाऊं….तेरी हर बात को सुनकर मैं कुछ मन ही मन मुस्काऊ…..
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
तूं हर पल मेरे साथ रहें, दिल की न कोई बात रहें…बस हाथों में यह हाथ रहे….
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
कुछ पल भी ऐसे हैं… दुख न कहे तो कैसे हैं…
मैं उसमें चाहता हूं तेरा साथ…..
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
मैं चाहूं तुझको प्यार करूं… मैं कैसे यह शुरूआत करूं…. तूं साया जैसे साथ में… कैसे मैं तुझसे बात करूं…..
कुछ दिन और बिताओ साथ, मैं यूं ही चाहता हूं तेरा साथ….
श्री राधा
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