हर तरफ रात है बस रात है,
सहर की ना कहीं कोई बात है.

चराग़ों को ज़रूर जलाइए,
गुमराहों को राह दिखाइए.

इस का मगर रहे ध्यान,
खुद का भी रखें ख्याल.

चराग़ों को जलाने के साथ साथ,
कहीं जला ना लेना अपना हाथ.

~ संजय गार्गीश ~