हम सभी के जीवन में मां शब्द हर रिक्त स्थान की पूर्ति करता है । सोचता हूं कल अगर वो मुझे छोड़ गए तो मैं कितना व्याकुल हो जाऊंगा। उन पलों को याद कर के अपने आप को अकेला पाऊंगा।मन की बात मन में रहेगी किसी से नही कह पाऊंगा।

माँ तुम नही होगी ,

तो  ये संसार कैसा होगा ?

मेरा घर परिवार कैसा होगा ?

पुरानी यादें विचलित करेंगी
कल में वापिस जाने का मन होगा।
मेरे बालों को कंघी करती तुम
अब से कौन तैयार होगा।
गीले अंग मुझे आँचल में
लपेटनी वाली मां
क्या किसी को मुझसे
इतना प्यार होगा।

होली और दीवाली पर झट से
पकवान बनाती तुम
तुम बिन क्या कोई त्योहार होगा।
देर रात तक दरवाजे पर निहारती,
पिता से मेरी जिरह करती
क्या मेरा, तुम सा कोई
वकील होगा।
बचाती दुनिया के गम से मुझे
क्या कोई ऐसा तरफदार होगा।
माँ तुम नही होगी तो
ये संसार कैसा होगा।मेरा घर परिवार कैसा होगा ?