मेरे लबों का हर गीत तुम हो
हर जनम के मेरे मीत तुम हो
राग हो तुम मेरे, रागिनी तुमसे है।
जहाँ देखूं मुझे दिखते तुम हो
ज़िन्दगी के हर रंग में मेरे संग तुम हो
आँख हो तुम मेरे, रौशनी तुमसे है।
जन्नत का शायद नूर तुम हो
पास होकर भी कई बार दूर तुम हो
चाँद हो तुम मेरे, चांदनी तुमसे है।
कोई नया यार मुझे अब गवारा नहीं
तेरे बिना अब मेरा कहीं गुज़ारा नहीं
इश्क़ हो तुम मेरे, आशिकी तुमसे है।
हर राह की आखिरी मंज़िल तुम हो
जो रंग चुका है सिर्फ तुम्हारे प्यार के रंग में, वो दिल तुम हो
सांस हो तुम मेरे , धड़कनें तुमसे है।
A poem , which i wrote a while ago , was in my drafts. I was missing swami ji today so thought of sharing it .
This 150 word limit is sometimes so challenging coz when we are in love with someone, we do not have words to express. 😁
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