कुछ ऐसी घटना हुई जिसने मेरे हृदय की करुणा को जगा दिया आपके समक्ष मेरी भावनाएं शब्दों का वस्त्र ओढ़ कर उपस्थित है आपका शुक्रिया इस यात्रा में मेरे साथ चलने के लिये।
मेरे बच्चे❤️❤️
जब ये पत्र तुम पढ़ रहे होंगे तो संभव है, मेरे सर में तुम्हारे परवरिस की जिम्मेदारी इस पत्र का मर्म समझाने से ज्यादा कीमती हो या ये भी हो सकता है कि, मैं शायद भूल भी जाऊं की मैंने ऐसा कोई पत्र लिखा था ,या संभव है ये पत्र ही मेरी शेष स्मृति के रूप में इस संसार मे रह जाय ,ये जगत अनिश्चितता का नीड़ है इसलिए किसी वक़्त किसी के साथ कुछ भी हो सकता है, आज अचानक इस पहल करने के पीछे एक विशेष कारण है जो शायद आज से 20 साल बाद मात्र एक किस्से के रूप में याद की जाय । कल शाम हमारे रिश्तेदारी में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली ,कुछ कहते हैं कि उसकी हत्या की गई है। मामला संगीन है और कुछ दबी ज़बान से इसे रंगीन भी करार दे रहे हैँ। सच क्या है, वो तो उस लड़की के साथ ही कब का जा चुका है, अब बस बातें और कयास की श्रंखलाएं है जो समाज का हर व्यक्ति जोड़ रहा है। एक तरफ कानाफूसी हो रही है कि “उसका अफ़ेयर था जी बिना बताए घर से गयी थी लड़के के साथ” कुछ की दलील है कि, “लड़कियों को और छूट दो ये तो होना ही था” और कुछ बुजुर्ग हैं जिनकी काया जंग की तरह छूट रही हैं पर सोच की जंग उम्र के साथ भी न गयी, ये सारा दोष माँ-बाप को दे रहें हैं कि इनकी कमी है जो बिटिया के साथ ये सबब हुआ। बस यही बात मेरे ज़ेहन में सैकड़ों शूलों को चुभाती है ,जिसने अपने जिगर का टुकड़ा खोया ,जिसकी अपनीं 20 साल कि तपस्या विफल हो गयी उस पर समाज को ऐसे कुंठित आरोप मढ़ते लाज न आई? माना उम्र के इस पड़ाव में दिल का बहक जाना लाज़मी हैं, मन मे उठती तरंगो के श्रोत और कारण को समझ पाना मुश्किल होता है, फिर अब अगर कोई अनबन हो ही गयी तो आप किस वास्ते सयाने हुए? रास्ता दिखाने के लिए न !
कि दोष मढने के लिए ? क्या उसकी ये भूल उसके जीवन से ज्यादा कीमती थी? मैंने एक बात देखी है कि लोग सिर्फ संवेदना प्रकट करने का खेल खेलते हैं, जैसा स्वामी कहते हैं किसी की व्यथा किसी के लिए कथा है । बस कुछ लोग हैं जिनका हृदय पंसीजता है ।
मेरे बच्चे ,ये समाज आपके लिए खोखले शब्दों की नुमाइश कर सकता है इससे ज़्यादा कुछ नहीं, आप बेफिक्र हो इस दुनिया मे गहमागहमी करना समाज की ओर से रत्ती भर भी न घबराना जब तक तुम्हारा तात इस शरीर मे है कोई कुरीति कोई शंका तुम्हारा बाल भी बांका न कर पायेगी। मेरे बच्चे , कोई भी बात इतनी बड़ी नहीँ की अपने माँ-बाप से छुपाई जाय, आप निःसंकोच हो सब कहना, आप बस एक शरीर या रिश्ते की पैदाइश नहीं हो आप स्वयं में एक अंश हो उस माँ का जिसने ये जग रचा, इसलिए कभी मन न छोटा करना, ये समाज ये दुनिया अगर पाल्हे के उस पार खड़ी भी हो जाय तो भी तुम अकेले नहीं हो , कोई ऐसा कदम न लेना जो तुम्हारे साथ तुम्हारे माँ-पिता को पश्याताप और दुख की खाई में जीवन भर के लिए धकेल दे।
कोई सीमा तुम्हारे लिए तय नहीँ है ,न हि कोई ऊँचाई है जो तुम्हारे क़दमो को वहां तक पंहुचने से रोक सके, मेरे बच्चे तुम्हारा होना बस, इस संसार मे दो ज़िन्दगियों का सुकून है और शेष जीवन का बोनस भी ,इसलिए उनके इस नफे कों कभी भी मत छोड़ना। मेरे बच्चे ,संभव है पीढ़ियों के अंतर के फलस्वरूप सोच में भी थोड़ा सा अंतर के कारण हमारी कोई बात मन को दुःख दे जाय तो उसे दिल पे मत लेना ,ये समझना कि बुड्ढा सठिया गया है लेकिन यही है जो हर कीमत में ,हर परिस्थिति में, हर क्षण मेरे हित की प्रार्थना में लगा हुआ है। मेरे बच्चे , जीवन बहुत अनमोल है इतना अनमोल जिसका अंदाजा मात्र जीवन जी कर ही लगाया जा सकता है , इसलिए इस जीवन का मान रखना।
तुम्हारा पिता भूतकाल से✋👐👐
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