चराग़ों को जलाने का रोज़ है,
ज़मीं को आसमां बनाने का रोज़ है.
दुख दर्द भूल जाने का रोज़ है,
गीत नए गाने का रोज़ है.
रंजिशों को मिटाने का रोज़ है,
सबको गले लगाने का रोज़ है.
दिलों को नूर-ए-उल्फ़त से सजाने का रोज़ है,
दिवाली है, खुशियाँ मनाने का रोज़ है.
उल्फ़त : प्यार, मित्रता.
~ संजय गार्गीश ~
Comments & Discussion
2 COMMENTS
Please login to read members' comments and participate in the discussion.