मां
दयामयी मां
आनन्दमयी मां
मुझे भूल गई हो क्या?
जगन्नमाता!
अपने बाकी बच्चों में इतना व्यस्त हो गई क्या?
मां अगर मैं पुकारना भूल गया हूं,
अगर तुम्हारे लिए तड़पना भूल चुका हूं,
तो क्या तुम ज्ञानमयी भी मुझे भूल गई क्या?
मां, तेरे बाकी बच्चों जैसा तप, कर्म, धर्म मुझमें नहीं,
तुझे रीझा लूं ऐसा भी कोई गुण नहीं,
किसी लायक नहीं, इसलिए मुझसे दूर हो गई क्या?
बोलो ना मां
क्यूं नहीं बोलती?
क्यूं मुझे पर्दा करती?
जगन्नमाता हो अगर,
तो मेरी भी माता हो
अगर मेरी भी माता हो तो ये दूरी क्यूं?
या तुम जगन्नमाता नहीं, या मैं तुम्हारा अंश।
सच और झूठ आके बता दो।
तुम्हारा बेटा नहीं हूं, ये बोलने ही आ जाओ।
बस आ जाओ मां।
यदि नारायण, परम पुरुष मेरे पिता हैं
तो तुम नारायणी, परा प्रकृति मेरे माता हो।
मां ऐसे खेल ना खेलो।
अगर दर्शन नहीं देने थे तो दर्शन की आश क्यूं जगाई?
रूठी हो मुझसे?
रूठा तो मैं भी हूं।
तरसा तो मैं भी हूं।
क्या तुम विश्राम कर पा रही हो?
सुना है मां का हृदय विश्राम नहीं पता,
यदि एक संतान भी दुखी हो।
यहां मैं तो तुम्हे भुलाया, भटक गया हूं।
क्या मेरी याद नहीं रही है?
आ जाओ मां।
बस तुम आ जाओ।
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