जब अपनी हूं ही नहीं

तो मैं क्या जानू हित अपना

जो दिया हमने आपको तो, आप ही जानो हित हमार

जन्म है तो आप के लिए

वरन तो दुनिया में अनेक

ना कोई और खिलौना, जो चाहे इस मन को

जग-जननी कहत प्रीतम तुम्हार

हमको दे सुख अनेक

हम दुःख कि बगिया में झूमे, उनके रस अनेक

सुख में सुख ना लागे

दुःख में दुःख ना लागे

आँखे नीर भहे अनेक, क्यों नहीं होए बिछडन का अन्त

आँखे भजन गाये आँसुओं से 

होए लाल, थर थर कापे मन 

ना जाने कब बगिया में फूल खिले

होगा कब बाग़बान से यह जीवन उपवन

जब होए मालिक की कृपा अनेक 

मन होये पुलकित, जब प्रेम से प्रेम का मिलन 

जैसे समंदर में नदिया मिले 

हर्ष से झूमे गद गद लहराए 

जैसे जीवन में भगवन मिले|

Jai Sri Hari 🙏

Love 

Neelam Om 

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