Jai Shri Radhey Shyam!

I offer my obeisance in the lotus feet of Shri Sadgurudev Bhagwan with whom grace I came to know about Hari. Guru is not different from Hari. Hari come as Guru to remind us that he is our everything.

But I’m feeling like I’m not having his darshan and I’m unable to practice any sadhana and my life is becoming desert without him. What should I do now. I’m left with big tears in my eyes… I’m your child and you are my mother. I want you Hari only you… May be someone say that you are God Supreme and your darshanas are not easy but for me you are my everything. Where should I go? I don’t have anything left. Only thing left is this faith: I’m yours and you are mine and that’s it.

Some few lines showing my feelings are below:

नीरस हो रहा जीवन मेरा
तुम बिन भाए ना सांझ सवेरा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

मीरा के प्रभु मोहि भरोसा तेरा
तुम बिन और न कोई अब मेरा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

सुना है नाम तारता है तेरा
इसी सहारे अब जीवन मेरा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

विषयों ने है मुझको घेरा
सब ओर से अब छाया अंधेरा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

अमावस का है ये अंधेरा
पूनम सा उज्जवल रूप ये तेरा
तुम आ जाओ मेरे चंदा
तभी मिटेगा अब ये अंधेरा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

काम क्रोध से मैं अब हारा
मुझ दुखिया का तू ही सहारा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

कैसे लगाऊं लगें न मन मेरा
फिर भी है पाना दर्शन तेरा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

देना ना था जो दर्शन तुमको
क्यूं फिर बुलाया तुमने मुझको

माना हूं पापी मेरे स्वामी
जैसा भी हूं बस हूं तुम्हारा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

अपना लो इस वाणी को मेरी
महिमा गाने को हारा तेरी
रूप माधुरी है तेरी रसमयी
रस की खान हो कहे आनंदमयी

नीरस को भी सरस करा
नाम को जिसने हृदय में भरा
आ जाओ अब तो मैं हूं हारा
नीरस हो रहा जीवन मेरा

Thanks for reading

Jai Shri Radhey Shyam!