जय श्री हरि 🌺🌺😊😊

      आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं।
         पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः।
 
      संचारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो।
       यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्‌। 

   हे परम शिव🌺🌺⚛️👏 आप मेरी आत्मा हैं ,आपकी वामांगी, मां शक्ति मेरी मति हैं ,मेरे प्राण आपके गण हैं और यह शरीर आपका मंदिर है। मेरे द्वारा किए जाने वाले विषय भोग आपकी पूजा है और निद्रा समाधि की स्थिति ,इस संसार में मेरा चलना आप की प्रदक्षिणा है ,मेरे मुख से निकले विविध शब्द आप की स्तुति हैं। हे प्रभू इन सब कर्मों के द्वारा मैं आपकी आराधना करता हूं । जब अर्पण और तर्पण का मार्ग शब्द और बुद्धि हो तो साधना का आनंद चौगुना और फल तो कल्पनातीत है ।  कहते हैं जिससे प्रेम हो उसके प्रति अपनी भावनाओं को कभी साझा नहीं किया जाना चाहिए शायद इसका असर कम हो जाता है, पर प्रेम और लाज कभी छिपाए रही है क्या? कभी नहीं जिस से प्रेम हो उसके ज़िक्र से ही गालों में सुर्खियां छाने लगती हैं हृदय पटल में सहस्त्रों नृत्यांगनाएं धूम तना नाना करने लगती हैं, अंग-प्रत्यंग में विद्युत प्रवाह होने लगता है और जब प्रेम करुणा समर्पण की आग में पक जाता है तो वह भक्ति का रूप ले लेता है । भक्ति कहिए ,प्रेम कहिए जो संज्ञा देना चाहे दे सकते हैं पर एक स्थित ऐसी भी है कि किसी शब्दालंकर की आवश्यकता भी न्यून सी जान पड़ती है ईष्ट या प्रेमी का नन्हा विचार आपके मन मंदिर में आया और आप आनंद के सागर में छपाक से डूब गए। आदि शिव का प्रेम मां के लिए किसी खिलते गुलाब की तरह रहा होगा ! नहीं गाय ,के नन्हे बछड़े की उछलती क्रीड़ा की तरह शायद !नहीं, वह पक्का अपने शिशु को स्तनपान कराती मां के वात्सल्यरस  के आनंद के आसपास रहा होगा🤔 । रहने दीजिए। कोशिश बेकार है ,जो साक्षात प्रेम के सागर हैं ,उन्हें किसी पार्थिव उदाहरण से कैसे कहूं?

 कवि ना होऊं ,न ही वचन प्रवीनू सकल कला सब विद्या हींनू  ।   

कवित विवेक एक नहिं मोरे सत्य कहउँ लिख कागद कोरे ।

मैं अपनी सीमित बुद्धि से असीमित पटकथा कैसे लिख सकता हूं, आज प्रभु की विशेष रात्रि है ,आज ही तो हमारे नाथ जगत जननी के साथ एक हो गए थे ,यह सृष्टि पूर्ण हुई थी। सहस्त्रों वर्षों का विछोह जब शिव से शक्ति का बिछड़न हुआ ,शिव तो शव ही थे ,यह तो मां है जो चिदानंद रस रूपिणी हैं नहीं तो, जटा जूट धारी को अपनी धूनी समाधि से फुर्सत कहां,  वैलेंटाइन डे कुछ दिनों पूर्व हुआ सही मायने में वैलेंटाइन डे या नाइट तो आज होनी चाहिए

🌺🌺”दैवीय प्रेम की जीती जागती रात्रि”🕉️⚛️🌺🌺

आज महाशिवरात्रि तो नहीं है लेकिन हम सब ऐसे ही पढ़ें ,उस भाव मे ही कि आज ही शिवरात्रि है।