Jai Shri Radhey Shyam!
Jai Shri Hari!
I offer my obeisance to the divine in you.
माँ कुछ बातें कहना चाहता हूं,
तेरे दिल में रहना चाहता हूं!
माँ अनमोल है तेरी मुस्कान,
तेरे हाथों के बने वो पकवान!
मेरा परीक्षा का परिणाम बताने से डरना,
और तेरी ममता का वो अनमोल झरना!
तुझे बताने से इतराता हूं,
पर मोहब्बत सिर्फ तुझी से करता हूं!
नहीं परवाह इस दुनिया के मंज़र की,
रहूं साथ आपके है दुआ हर पहर की!
माँ जब भी विश्वास की नौका डगमगाती है,
मुझे तब तब तेरी ही याद आती है!
किस सहजता से रह लेती इतने रिश्तों में,
क्या बांट देती हो अपनी खुशी को किश्तों में!
भरे है तूने ऐसे संस्कार मुझमें,
आए ना जिनसे कभी अहंकार मुझमें!
क्या कह पाऊंगा ज्यादा तेरे बारे में,
कश्ती लगेगी क्या तेरे बिन किनारे में!
जब भी नींद आती है इन आंखों में,
डूब जाता हूं तेरे ख्वाबों में!
आशुफ्ता* भरी है मेरे ज़मीर में,
मिट सकती है ये तेरे प्रेम के खमीर में!
(*आशुफ्ता :- भ्रमित)
Sorry if I hurt someone’s feelings.
Jai Shri Radhey Shyam!
Jai Shri Hari!
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