।।प्रणाम।।
।।जय श्री हरि।।
।।जगनमाता की जय।।
आज जिस विषय पर हम लिख रहे हैं वह तो आपको हमारे शीर्षक से ही पता चल रहा है लेकिन फिर भी जीवन में कभी ना कभी कहीं ना कहीं कोई ऐसे व्यक्ति हमें मिलते हैं जो हमें जीवन जीने का तरीका सिखा देते हैं और ऐसी सीख दे जाते हैं जो जीवन पर्यंत हमारे साथ रहती है और उसका संस्मरण जब आता है तब हमें शीतलता, बुद्धिमता और ज्ञान का प्रकाश प्राप्त होता है।
यह कहानी मेरे जीवन की है मेरा ही एक पहलू है। बात है दसवीं कक्षा की। हम सभी को पता है कि जब दसवीं कक्षा में विद्यार्थी होता है तो उसके लिए बोर्ड की परीक्षा कितनी महत्वपूर्ण होती है। उस समय तो केवल यही होता है कि अच्छे अंक प्राप्त करके खूब घरवालों को प्रसन्नता होगी खूब नाम मिलेगा और आगे भविष्य के लिए पढ़ाई के लिए भी इससे सहायता मिलेगी जो कि मानना ठीक भी है। लेकिन हमें तो ज्ञान प्राप्त केवल अपने को और बेहतर बनाने के लिए प्राप्त करना है ना की किसी की होड़ में ज्ञान को प्राप्त करना है और वास्तविक में जो ज्ञान हमारे लिए होगा वो हमें कभी ना कभी कहीं ना कहीं किसी ना किसी से प्राप्त हो ही जाएगा। तो हम पढ़ने में तो ठीक थे लेकिन जैसे रहता है कि स्कूल में भी विद्यालयों में रहता है कि जो छात्र पहले से ही अच्छा करते आए हैं उन पर अध्यापकों का ध्यान अधिक रहता था कि वे बोर्ड की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करेंगे। उनकी तैयारी भी उसी अनुरूप अधिक कराई जाती थी। तो हमने यह कहा था कि हमें भी इस परीक्षा में बैठना है जिनमें यह सब बच्चे बैठे हैं। हमारी एक अध्यापिका ने कहा था कि यह केवल टॉपर्स के लिए बनी हुई है एग्जाम्स आपके लिए नहीं है तुम्हारे लिए दूसरी बनेगी। हृदय को बहुत बुरा लगा बहुत ठेस पहुंची। हमने तो कहा हम भी तो पढ़ते हैं माना कि वह पांच दस अंक अधिक प्राप्त करके हम से आगे हैं लेकिन इसका मतलब क्या है कि हम बराबर नहीं है क्या उनके। दिल को बहुत ठेस पहुंची जब हमने अपनी मां से यह सब कहा तो संयोगवश हमारी बुआ भी उस समय वहीं पर थी तो उन्होंने कहा था: “कोई बात नहीं चिंता मत करो और यह अभी तुम्हारे साथ पक्षपात कर सकते हैं लेकिन जब बोर्ड की परीक्षा होगी तब तो तुम्हारे परीक्षा का परिणाम यह नहीं देंगे वह तो बोर्ड ही तय करेगा।” तो उस समय हमें यह लगा कि हां हमें अब पढ़ना है और इन को बताना है कि हम भी अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। सामर्थ्य हर एक बालक में होती है हर एक विद्यार्थी में समान रूप से सामर्थ्य होती है। हमने अपनी परीक्षाओं की तैयारी की, खूब मेहनत की और अपनी परीक्षाएं दी और इसके पश्चात जब मई 2016, हमें आज भी वह दिन याद है जब हमारे बोर्ड की परीक्षाओं का परिणाम आया था दसवीं का। हम उस समय अपनी कक्षा में कंप्यूटर की कक्षा लगा रहे थे, उस दिन हमें पता था कि आज हमारी परीक्षा का परिणाम आने वाला है तो उस समय तुरंत हमारी जो अध्यापिका है एक वह बहुत ही हर्षोल्लास से दौड़ती हुई हमारे पास आई और कहा कि आपको अपने विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है और पूरे प्रदेश में आप 14वें स्थान पर रहे तो इसे सुनते ही एक अजीब सा भय लगा हमें, हो सकता है इनसे कुछ भूल हो गई होगी परिणाम देखने में तो हमने फिर से कहा कि आपने हमारा परिणाम ढंग से देखा जो आया है और बाकी बच्चों का भी देखा? तो उन्होंने कहा कि हमने सब का देख लिया है और आप सब से 20 अंक आगे हैं जो दूसरे स्थान पर प्राप्त आई हैं लड़की. हमें बहुत ही प्रसन्नता हुई जैसे होना भी चाहिए। हमने धन्यवाद किया देवी मां का और जब हम घर गए तो घर में अलग ही आनंद था हमारी बुआ भी आई थी तो उन्होंने फिर से हमें स्मरण कराया कि यह परिणाम इन अध्यापकों ने नहीं दिया यह बोर्ड की परीक्षा थी और इसमें जो लायक था उसे परिणाम मिल गया और उस समय उन्होंने बड़ी ही प्यारी बात कही कि
“बेटा हाथों से तो कुछ कोई छीन भी लेगा तुमसे लेकिन जो माथे पर हैं वह तुमसे कोई नहीं छीन पाएगा।”
माथे पर का अर्थ यह नहीं कि कोई लकीर है या किस्मत इसका अर्थ है जो ज्ञान तुम्हारे पास है जो तुमने पढ़ा है वह तुम्हारे पास रहेगा। तुम्हारे धन को कोई चुरा सकता है लेकिन तुम्हारी विद्या को कोई नहीं चुरा सकता और विद्या से ही तुम्हें धन प्राप्त होगा इसलिए खूब आगे बढ़ो और खूब मेहनत करो इन शब्दों का अभी भी स्मरण करते हैं तो खूब उत्साहित होते हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित रहते हैं। हम तो बस इतना ही कहेंगे और आशा करते हैं कि आप सभी कुशल मंगल होंगे और सभी अपने साधन पथ पर चल रहे हैं खूब ईमानदारी के साथ आप आगे बढ़ते रहिए। जो भी कर्म करो श्री हरि को अर्पित करते रहो, देवी मां को स्मरण करते रहो और यह ही भक्ति प्रदायक है। स्मरण ही सब कुछ है स्मरण ही सब कुछ है स्मृति उनकी बनी रहे और कुछ भी नहीं।
।।धन्यवाद।।
।।जय श्री हरि।।

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