मेरी हस्ती गिरवी है ,मेरे प्रभू के चरणों में। दिन भर सोशल मीडिया में घूमने के बाद रात में लगा कि आज का दिन बेकार चला गया, चुभन तब और तीखी हो गयी जब ये जागरूकता आयी कि आज का दिन प्रभू की स्मरण के बिना बीता, हाय! मन मे घोर पश्याताप उपजा और व्यथित हुई आत्मा,उत्तर ढूंढने लगी कि ऐसा क्यों हुआ? तभी मेरे मन के उस कोने से एक आवाज आई कि , “तुम ने मुझे विस्मृत किया होगा मैंने तो नहीं किया”
मेरी ऊर्जा वापस आ गई, मेरी मुस्कान अधरों की फ़ैल सकने की सीमा तक विस्तृत हो गयी। मेरे हृदय की भूमि जो कुछ क्षण पूर्व बंजर होने ही वाली थी उसमें कृपा की बरखा बरस गयी। अहा ! प्रभू कितने दयालु हैं। जिस क्षण ये दिव्य आवाज़ हृदय में उपजी साथ मे आया एक विश्वास की मेरी हस्ती मेरे गुरु चरणों मे गिरवी है। भक्ति और समर्पण के स्वार्थ में मैंने अपना सब कुछ अपने प्रभू को दे दिया।
हे नाथ🌺 मैं आपका हूँ । आप मेरा “मैं” ले लीजिए और अपने कलेवर में समाहित कर लीजिए।
लिखने को अब ज्यादा है नहीं । आनंद के शहद में शब्द घुल गए हैं ,बस आनंद है, और आनंद । और हां आनंद भी है। हां ,आनंद है।
मेरी माँ ⚛️❤️❤️🌺🌺
साष्टांग प्रणाम प्रभू🌺🌺❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇❤️❤️❤️❤️❤️❤️🌺
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