जय श्री हरि परिवार🌺🌺❤️⚛️🕉️👏😊,
सबसे पहले तो हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को🌺🌺🙇
हमारे घर मे या लगभग समस्त क्षेत्र में प्रभू श्री राम और हनुमान जी की पूजा अर्चना का चलन ज़्यादा है, श्री रामचरित मानस का पाठ और कीर्तन हर दिन किसी न किसी के यहां होता ही रहता है, थोड़ा दुःख ये है कि अब ये एक उत्सव जैसा बस रह गया है ।राम के भाव मे शायद ही कोई चौपाई गुनगुनाता है किंतु अच्छा ये है कि कम-से-कम लोग जुड़े हुए हैं और ये रीति ही सही प्रभू का नाम स्मरण तो कर रहें। पिता जी मंगलवार का व्रत रहते हैं छुटपन में मैंने भी ज़िद की ,कि मुझे भी व्रत रहना है। पहले तो सब ने हंस के बात को हवा में उड़ा दी लेकिन मेरी हठधर्मिता काम आयी और मैं भी व्रत वाली पंगत में विराजमान हो गया, फल ,साबूदाना की खीर, मूंगफली के लड्डू और कई पकवान सामने रख दिये गए ,अहा! ये है व्रत 😁😁 मैं तो रोज व्रत रहूं , इस तरह अच्छे भोजन की लालच में ही मैंने व्रत शुरु किया, और हनुमान जी से नज़दीकी बढ़ती गयी, प्रतिदिन शाम को उनके मंदिर में आरती और पूजन शुरू हो गया, इसी क्रम में मैंने तय किया कि क्यों न 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाय , मन मे विचार आया ,श्रद्धा ने बल दिया और प्रभू ने भरोसा ,बस फिर हनुमान जयंती के ही दिन भोर से नहा-धोके जैसे तैसे पाठ शुरू किया गया, कोई साधना विधि का ज्ञान नही था न शुद्धिकरण ,न पंचोपचार कुछ, बस अगरवत्ती लगा के शुरु हुई पूजा, आरम्भ के 1 घंटे तो मजे से निकल गए, फिर चालू हुआ पैर और कमर में दर्द 😁😁 माला देखी तो अभी 30या 40 बार ही हुए थे। एक बार तो लगा कि ग़लती कर दिए😁😁 इतना जोश में आने की क्या ज़रूरत थी😁😁🤣 अब लो पूरे 3 घंटे लगेंगे।
उस दिन समझ मे आया कि साधना क्या है और कितना आसान है। लेकिन हनुमान जी के चरण वंदन में मन रमा रहा, मुझे पता नहीं आगे उनकी साधना का सौभाग्य मिले या नहीं किंतु मन मे ये इच्छा है कि उनकी भक्तिमय ऊर्जा को जागृत अवश्य करूँ।
श्री रामदूतम शरणम प्रपद्ये🌺🌺🙇🙇🕉️⚛️👏
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