चमक दमक की दुनिया से कुछ दूर होना चाहता हूं मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

मुश्किलों ने मुझको घेरा है यहां गम का बड़ा अंधेरा है
इन सब से निकलकर मै ज्योति होना चाहता हूं…

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

ना लोग मुझे चाहते थे ना मैं उनको चाहता था एक बंधन का नाता था जिसमें हर कोई आता था इन सब नातो से मैं अब मुक्ति ही चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

धन के लोभ ने पकड़ा है जीवन के सुखो ने जकड़ा है मैं इन सबसे हटकर कुछ काम करना चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

भूख प्यास को त्याग कर धरती का आंचल लांग कर उस नील गगन से चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

ना भय हो ना शौक हो ना जीवन में प्रलोभ हो इन सब से छूटकर मैं निर्गुण होना मैं चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

ना शक्ति हो ना युक्ति हो निर्मल बुद्धि ही सबकी हो उस निर्मलता की चाहत में प्रयास करना चाहता हूं…

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

ना रस का ना स्वाद का कुछ भी अनुभव नही चाहता हूं

मैं चमक दमक की दुनिया से कुछ दूर होना चाहता हूं…..

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

मुश्किलों ने मुझको घेरा है यहां गम का बड़ा अंधेरा है
इन सब से निकलकर मै ज्योति होना चाहता हूं…

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

ना लोग मुझे चाहते थे ना मैं उनको चाहता था एक बंधन का नाता था जिसमें हर कोई आता था इन सब नातो से मैं अब मुक्ति ही चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

धन के लोभ ने पकड़ा है जीवन के सुखो ने जकड़ा है मैं इन सबसे हटकर कुछ काम करना चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

भूख प्यास को त्याग कर धरती का आंचल लांग कर उस नील गगन से चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

ना भय हो ना शौक हो ना जीवन में प्रलोभ हो इन सब से छूटकर मैं निर्गुण होना मैं चाहता हूं….

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

ना शक्ति हो ना युक्ति हो निर्मल बुद्धि ही सबकी हो उस निर्मलता की चाहत में प्रयास करना चाहता हूं…

मैं आत्ममंथन करके अमृत होना चाहता हूं….

श्री राधे