मैं सत्यम – किचन से लाइव हूँ।
‘ किचन या रसोई मात्र 10/5 की एक छोटी सी जगह नहीं ,ये तो पूरी दुनियाँ है स्वाद की , संतुलन की, और समानता की , दुनिया भर का दर्शन और ज्ञान यहाँ उपलब्ध है । देखने और ध्यान देने वाली नज़र की दरकार है बस’
मैं 10 बजे खाना बना के चली जाऊँगी पहली बस से, फिर तुम पिता जी को और बब्बा को खाना परोसा देना और ख़ुद भी खाना खा के टाइम से स्कूल चले जाना, मैं शाम तक घर वापस आ जाऊंगी।
माँ ने समझाइश देते हुए मुझे सारा बन्दोबस्त बता दिया । दसवीं की बात है जब मेरा पहली बार रसोई के संसार मे दाखिला हुआ, बात कुछ यूं थी कि, माँ को जाना था नानी जी को मिलने लेकिन बिना उनके घर का चूल्हा शायद ही राज़ी हो कुछ पकाने के लिए,इसलिए भोजन बनाने के बाद मुझे सब को सर्व करने का ज़िम्मा मिला। मैं भी रसोई का प्रभार पा कर किसी बड़े ओहदेदार से कम न था। जब आप बच्चे से अचानक जिम्मेदारी वाली पंगत में आते हो तो वह भावना बहुत जबरदस्त होती है ,आपकी हो रही कीमत आपका आत्मविश्वास बढ़ाती है।
बहरहाल, माँ ने मुझे काम सौंपा और अपने रास्ते चलीं, अब बारी थी मेरी , मैंने सब को भोजन कराया और स्वयं भी किया।फिर मेरे मन मे एक तूफ़ानी आइडिया आया, क्यों न कुछ बनाया जाय 😜 । क्या बन सकता है मुझसे? हलवा या फिर कुछ और🤔 सारी जद्दोजहद के बाद मेरे मन ने पूड़िया बनाना तय किया, अब पूड़ी बनाने की तैयारी शुरू हुई। मैंने फटाफट बर्तन में आटा निकाल के एक तरफ रखा और लोटे में पानी निकाल के पूड़ी बनाने का दंगल शूरु किया। मैंने धड़ल्ले से आधा पानी परात में झोंक दिया और आटा लगाना शुरू किया, कोई मानक तो था नहीं बस अपनी बुद्धि से इस ख़ुफ़िया मिशन को आगे बढ़ा रहा था। अब शुरू हुई असली ज़हमत कभी पानी अधिक होए तो कभी आटा😨🤣🤣 दोनों कि सुलझने को तैयार न थे, मेरे सब्र का बांध धीरे-धीरे टूट रहा था, इस पानी -आटा के उठा पटक में कहीं किचन भर का आटा आज ही न लग जाय और मेरी चोरी पकड़ी जाय, फिर क्या होगा? न जाने किन-किन पात्रों से मुझे इनाम दिया जाय😀😀।
किसी तरह आटा लगा, अब बारी थी तलने की ,राहत की सांस लेते हुए मैंने फुर्ती से अगले पड़ाव के लिए कूच किया। कड़ाही ,करछुल, बेलन, चौका और सारे आयुध तैयार थे बस अब युद्धस्तर में पूड़ियाँ तलना था। मैंने पूड़ियाँ बनानी शुरू की , असली जंग तो अब शुरू हुई ,मैंने दुनिया के हर देश के नक्शे बनाये और कड़ाही में फैले समुद्र में स्वाहा कर दिया, उसके कुछ छीटे पुरस्कार स्वरूप मेरे ऊपर गिरे ,सौभाग्य से मुझे कुछ हुआ नहीं। अब किसी तरह पूड़ियां तो बन गयीं पर सब बकवास ही बनी😃😃😃 तेल की ख़ुशबू से मेरी कज़िन आ गईं और लगीं तफ़्तीश करने , कि चाची तो आज बाहर हैं घर में कोई नही फिर किचन में पूड़िया कहाँ से बन रही? मैं मूढ़मति मुझे लगा था कि, मेरी चोरी में हवा भी मेरा साथ देगी लेकिन ऐसा कुछ न हुआ, जैसा कि मिडिल क्लास घरों में होता हैं उस शाम को मेरा ही बकरा बना बाकायदा मेरे इस अनूठे कृत्य की भूरि-भूरि प्रशंशा हुई🤣🤣 और फिर आगे से ऐसा कोई करतब न करने की पहले समझाइश दी गयी बाद में धमकी😃😃😜।धन्यवाद आपके कीमती समय के लिए🌺🌺🙏🙏
मैं सत्यम : किचन से 😃
ये अन्नक्षेत्र मेरा लीलाक्षेत्र है
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