मैं ख़्वाब हूँ
ख़्वाबों का रूप हूँ
ख़्वाबों का रंग हूँ
अंगुल की मार से टूट जाऊँ
मैं कमज़ोर काँच नहीं
मैं हीरे सा मनोहर हूँ
अपने कद की पहचान रखता हूँ
इसीलिए खुलेआम तुझे न्यौता भी देता हूँ
कि
तू तोड़ !
तोड़ मेरे ऊँचाई के सब ख़्वाब तू
तोड़ मुझे
तोड़ दे पूरा का पूरा
अगर मेरे पर भी फाड़ देगा न तू
अगर मार भी देगा न मुझे
मैं रूह बनके पहुँचूंगा वहाँ जहाँ मुझे जाना है
मैं रूह बनके पहुँचूंगा वहाँ जहाँ मुझे जाना है
तोड़ ले
तोड़ ले मेरे मनसब के सब ख़्वाब को
अगर तोड़ने की हिम्मत रखता ही है तो
बस ये मत भूल जाना की मैं कौन हूँ
मिट्टी -मिट्टी भी कर देगा न इस शरीर को तू
तो क्या हुआ
किसी और में
किसी और में
किसी और में
ये लौ
भड़का चुका हुंगा मैं तब तक
मैं ख़्वाब हूँ
और ख़्वाब कभी मिटते नहीं
बस रूप ,रंग ,शरीर
बदल लेते हैं
मैं ख़्वाब हूँ
ख़्वाबों का रूप हूँ
ख़्वाबों का रंग हूँ
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