अपनी मोहब्बत का इज़हार करना आसान है, कोई बुरी बात नहीं है.
पर मोहब्बत को बरकरार रखना मुश्किल है, बेहद मुश्किल है!
यही कारण है कि मौजूदा वक़्त में बड़ी तादाद में परिवार टूट रहें हैं, तलाक़ हो रहें हैं.
मै मोहब्बत के मुआमलों का माहिर तो नहीं हूँ पर हां मैनें अपने तजुर्बों से कुछ बेशकीमती इल्म हासिल किया है जिसे मैं अपने वेलेंटाइन डे के जश्न में डूबे बच्चों के साथ सांझा करना चाहता हूँ.
(क) आमतौर पर मोहब्बत का मतलब यह समझा जाता है – एक दूसरे के करीब रहना, हाथों में हाथ पकड़ना, एक दूसरे में खो जाना.
लेकिन मेरा तजुर्बा कहता है कि ज़्यादा नज़दीकियां भी नुकसानदायक होती हैं, आप अपनी क़द्र खो देंगे.
अगर आप अपनी मोहब्बत को टिकाऊ रखना चाहते हो तो कभी कभार कुछ दूरियाँ ज़रुरी हैं.
मोहब्बत का मतलब अपनी ख़्वाहिशों को एक दूसरे पर थोपना हरगिज़ नहीं है.
मेरा मानना है कि मोहब्बत में इज़ाफ़ा “बंधन” से नहीं बल्कि “आज़ादी” से मुमकिन है.
याद रहे कि बरगद के पेड़ की छाया में कोई भी बेल का पनपना नामुमकिन है!
एक दूसरे को आज़ादी देने से ही मोहब्बत में नयापन, क़द्र क़ायम रहती है.
(ख) जिस्मानी प्यार आरज़ी होता है, क्षणिक होता है. अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो उसकी रुह से किजिए, उसके जिस्म से नहीं.
खूबसूरती, दौलत, शौहरत, ओहदे – ये सब चंद दिनों के ही मेहमान होते हैं.
मोहब्बत किजिए तो दिल-ओ-जान से किजिए, बिना किसी उम्मीद के किजिए.
~ संजय गार्गीश ~
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