।।जय श्री हरि।।
आप सभी को क्रिसमस के उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं जिस प्रकार जेरुसेलम में यीशु मसीह का प्राकट्य हुआ जन्म हुआ और उन्होंने अज्ञान रूपी अंधकार को हटाया उसी प्रकार मैं भी प्रभु श्री हरि से प्रार्थना करता हूं कि वह आपके ह्रदय के मंदिर में अपना प्राकट्य करें और प्रकट होकर सारे अज्ञान के अंधकार को हर ले। इस त्योहार पर यही आशा प्रभु से करते हैं कि हमारे अज्ञान को दूर करें और इस मन को शुद्ध करने की हम पर कृपा करें। हम इस मन को शुद्ध करें ताकि इस हृदय रूपी मंदिर पर प्रभु का भक्ति रूपी सिंहासन विराजमान हो जाए और उनको सदा सदा के लिए बिठाले।
आज मैं जिस विषय पर बोलने जा रहा हूं हो सकता है कि किसी व्यक्ति को अच्छा लगे या किसी को बुरा लेकिन मैं केवल और केवल अपने ह्रदय की बात कहूंगा जो मैंने अनुभव किया जो मैंने समझा जो मैंने जाना इसलिए यदि मेरी भावनाएं किसी को ठेस पहुंचाए तो मैं पहले ही क्षमा मांगता हूं। अंततः है तो केवल मेरी ही भावना, यह किसी के लिए कोई नियम नहीं। मैं जो अनुभव कर रहा हूं वे भी वही अनुभव करें|
तो जैसे कि हम सभी जानते हैं आजकल हिंदू जाग गया है वास्तव में एक फैशन सा बन गया है कि हिंदू जाग गया है। आप हिंदू हो अच्छी बात है। वास्तव में हिंदू बोलने से सनातनी हो जाना संभव नहीं| बाहर से कोरी भावना  केवल कट्टरता है अनन्यता नहीं। इससे तो केवल दूसरों को क्षति ही पहुंचेगी| तो जैसे कि मैंने कहा कि आज मैं जो कहने जा रहा हूं हो सकता है कड़वा लगे लेकिन जैसे बहुत से भक्तों को हमने देखा बहुत से लोगों को देखा जो कह रहे हैं कि अपने भगवान ठाकुर जी जो विराजमान है, सेवा में है मंदिर में उनको संता क्लाज ना बनाएं। यह ना करें वह ना करें। जीसस का जन्मदिन ना मनाए। बाकी लोग भी तो यही कर रहे हैं कि वह हिंदुओं के त्योहारों को नहीं मना रहे तो हम भी वही करें यह तो बात सही नहीं ना। यह परंपरा नहीं है अपनी परंपरा में रहना अपनी परंपरा को आठों पहर निभाना और इस तरह से निभाना, इस तरह से अपने नियमों का पालन करना कि किसी दूसरे व्यक्ति को ठेस ना पहुंचे तभी तो हम वास्तव में सनातनी हैं एक बार पूछे प्रश्न अपने आप से क्या आप सनातनी हैं? क्या आप सत्य के साथ हैं? मुझे तो नहीं लगता कि कोई गलत कर रहा है यदि वह चाहता है कि अपने ठाकुर कृष्ण कन्हैया को जीसस बनाए सैंटा क्लॉस बनाए तो बनाने दो हम कौन होते हैं बोलने वाले। लेकिन मेरी जो भावना है वह मेरी है मैं तो केवल उन्हीं ठाकुर की आराधना करूंगा जो बंसी धारी है जो यमुना किनारे, कदंबवनवासी हैं और जिनकी वामा श्री राधा वही कन्हैया, कन्हैया गिरिधारी, मनमोहन वही मेरे ठाकुर हैं। यह मेरा विषय है कि मेरा मन किस छवि में है। मैं अपनी भक्ति में हूं और सामने वाले व्यक्ति अपनी भक्ति में। यह बात तो उचित नहीं कि मैं कहूं कि नहीं तुम वही बात करोगे जो हम कहें। मुझे बहुत ठेस पहुंचती है जब कोई भक्त हमें यह कहें। व्हाट्सएप के मैसेजेस में एक बोल रहे हैं क्रिसमस सेलिब्रेट मत करो। भीष्म पितामह तो बाणों की सैय्या पर सो गए थे यह यीशु मसीह तो किलों पर टांगते ही मर गए और कह रहे थे कि भगवान शिव ने तो विष पी लिया और इस इशू मसीह ने तो बस दूसरों के पापों के लिए जान दी तो क्या हो गया। यह तो कहीं की कोई बात नहीं बनी। यह तो फिर हिंसा है भक्ति नहीं। यह प्रेम नहीं, यह साधना नहीं। वही साधना, वही अनन्यता, वही नियम अच्छे हैं जो आपके हृदय को शीतल करें और आपको एक अच्छा इंसान बनाएं और आपको जीवन जीने की सही राह दिखाएं। तो मैं तो यही कहता हूं जो मुझे समझ आया अपने गुरुदेव से, अपने स्वामी जी से।
अपनी भक्ति में अनन्य रहना और इस तरह से कि दूसरे व्यक्ति को कोई कष्ट ना हो बस यही बात मुझे समझ आती है और मैं अधिक जानता भी नहीं और मैं जानना भी नहीं चाहता। इसी के साथ मैं शब्दों को विराम देना चाहता हूं। और पुनः आप सभी को क्रिसमस के दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं प्रभु आप पर कृपा करें श्रीहरि सदा आपके साथ रहें।
।।जय श्री हरि।।

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