(This is a dark poem where a girl was in an abusive relationship and now she is living separately. Still, instead of enjoying her freedom, she is looking for the same man to come back as she is insecure, indecisive and is used to his presence in her life. This is based on a true incident of my dear friend).

माना के अब अजनबी हैं हम
एक आख़री बार दोस्ती निभाने के लिए ही लौट आओ ।

मुझे तुमसे आज भी मोहब्बत है
तुम एक बार बस यही जताने के लिए ही लौट आओ ।

जानती हूँ की बेवफा हो तुम
एक बार मेरी ज़फाएं मुझे याद दिलाने के लिए ही लौट आओ।

कुछ फूल खिलने लगे हैं शायद
इस दिल को फिर से वीरान करने के लिए ही लौट आओ।

काफ़ी नादानियाँ मुझसे भी हुई थी
उन गलतियों का एहसास दिलाने के लिए ही लौट आओ।

सुख की कलियों पे मुझे नींद नहीं आती
दुःख के कांटे बिछाने के लिए ही लौट आओ।

ये शान ओ शौकत की ज़िन्दगी अब रास नहीं मुझे
मेरे मन के सुकून को रोंदने के लिए ही लौट आओ।

नए ज़ख्म बर्दाश्त करने की ताकत नहीं अब मुझमे
पुराने ज़ख्मों को कुरेदने के लिए ही लौट आओ।

तुम्हारी आदत सी हो गयी है ज़िन्दगी को
इस आदत को भुलाने के लिए ही लौट आओ।

कहीं न कहीं तुम आज भी मुझे चाहते हो
दिल की इस ग़लतफहमी को मिटाने के लिए ही लौट आओ।