रहेंगे सदा, जिंदगी के अंधेरे ।
उजाला तुझे, ढूंढना ही पड़ेगा ।।
एक कोई तो, ऐसा राही मिलेगा ।
जो मार्ग में तेरे, शिखर तक चलेगा ।।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा ।।
हो मुखातिब हमेशा, वीरह वेदना से।
पीड़ित हो जीवन, की मैली चेतना से ।।
सकल जग प्रताड़ित, कुसंकल्पना से।
जग जाओ अभी तुम, इस परिकल्पना से।।
इक सुगंध सा तेरे, मन में भी उठेगा।
कीचड़ से ही तो, कमल भी खिलेगा ।।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा ।।
यदि प्रयास जो तेरा, संकल्पित रहेगा।
परीक्षा में भी तू, विफल ना रहेगा।।
संकल्पित हृदय, निश्छल जो रहेगा ।
गंगा की तरह, अविरल ही बहेगा ।।
करे मन तेरा निर्मल, वो निश्छल मिलेगा ।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा ।।
माया भी प्रभु की, छाया भी प्रभु की।
अस्तित्व तेरा ये, दया भी प्रभु की।।
जो तेरा ना कुछ, इस जगत में है प्यारे ।
फिर खोने की चिंता से, तू क्यूं डरेगा ।।
करेगा इस चिंता से, मुक्त जो तुझको।
वो एक ऐसा, सबल भी मिलेगा ।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा ।।
ना हमदम है कोई, ना संगी सखा रे़।
अकेला पथिक है, क्यूं भ्रम में है प्यारे।।
ना तर्क ही, कोई वितर्क बचेगा।
अंत के बाद तेरे, धड़ भी न रहेगा।।
धरा में ही रम जाएगा, शेष तेरा।
कहो अपना जिसे, कुछ भी न बचेगा।।
ना व्यर्थ गंवा समय, जो शेष तेरा।
पहचान स्वयं को, श्रेष्ठ तेरा मिलेगा।।
जो तेरे सोए, अंतर्मन को जगाए।
वो भ्रम का निवारक, वो साधक मिलेगा।।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा ।।
भटकते रहे व्यर्थ, जीवन में अब तक।
मिथ्याचारी बने हम, पहुंचे नहीं सच तक।।
है जो सत्य तुम्हारा, तुझे ढूंढना है।
ये बतलाने वाला, कोई तो मिलेगा ।।
वो गुरू भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा।।
जो ऊर्जा तुम्हारी, बची है अभी तक।
दिशा दिखलाने वाला, कोई तो मिलेगा।।
वो सच्चा गुरु भी, है इसी धरा पर।
जो भव सागर से भी, तुझे खींच लेगा ।।
वो मार्ग प्रशस्तक, वो संगी वो साथी।
यहीं पे मिलेगा, वो गुरू भी मिलेगा ।।
मद मोह भरी, इस माया जगत में।
इक पल भी तुझे, वो विचलित न दिखेगा।।
ना बांध सका कोई, व्यसन उसे पल भर।
ना क्रोधी ना वो, तुझको दंभी दिखेगा।।
ममता का उभरता, वो सागर है जिसमे।
तनिक भी कपट का, दखल न मिलेगा।।
है सरलता की मूरत, प्रभु की प्रतिमूर्ति।
वो जग के हर छल से, निश्छल ही मिलेगा।।
असंख्यो को जग में, है उसने संभाला।
पतितो को भी उसने, है पावन कर डाला ।।
जग ढूंढ उसे वो तुझे भी मिलेगा ……।
जग ढूंढ उसे वो तुझे भी मिलेगा…….।।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा ।।
जगा श्रद्धा तू मन में, जीवन में तू अपने।
नर जीवन तुझे ये, फिर न मिलेगा।।
जो मौका मिला है, मुश्किल से तुझे ये।
कौन जाने आगे, किस तन में मिलेगा।।
अब ढूंढ उसे जो, तेरे पथ को सवारें।
कर उत्कट इच्छा, जो गुरु चेतना दे।।
ले संकल्प ऐसा, प्रभु गुरु प्रेरणा दे ।
फिर निश्चय ही तुझे, तेरा फल भी मिलेगा।।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा।
वो स्वामी तेरा, संगी भी मिलेगा।।
वो शिक्षक तेरा, रक्षक भी मिलेगा ।
फिर बचेगा ना कोई, अंधियारा जग में।।
वो गुरु भी मिलेगा, वो गुरु भी मिलेगा।।
गुरुदेव और स्वामी जी के चरणों में सादर समर्पित ।
दीपेंद्र
Comments & Discussion
10 COMMENTS
Please login to read members' comments and participate in the discussion.