मैं कौन हूँ?

साढ़े तीन हाथ की काया में छिपे असंख्य गुणावगुणों का ढेर। कितनी सफाई से आप एक-एक अवगुणों को चुन-चुन कर अपनी करुणामयी आंखों से उनका दहन कर देते हैं और हमे लगता है मैंने इतने घंटे का ध्यान कर लिया, ओहो मैं तो तीन घंटे जप में बैठ जाता हूँ । सच कहूं 😊 सब व्यर्थ है, बिना आपकी कृपा के कुछ नही …मतलब कुछ नही….मतलब बिल्कुल कुछ नही। जीवन की वैतरणी में डूबते-उतराते यात्रा चल ही रही है। आप के आने के पहले क्या था? जीवन सुस्त चाल से अपने देग भर रहा था,  वृद्ध जीर्ण काया जिस तरह एक-एक कदम रखने के लिए सारी शक्ति को एकत्रित करती है, मैं भी उससे कुछ अलग नही था।

तो क्या था मैं?

मैं था ,डरा सहमा बच्चा , हर काम को अधूरा छोड़ने वाला “अधूरेलाल” , किसी भी विधा में बाजी मारने वाला , लेकिन विधा से विधवा हुआ व्यक्तित्व। “सेल्फ स्टीम” तो बड़े पूरे शून्य के अंदर बस चुकी थी। आप के आगमन से चीजेें बदलनेे लगीं , जीवन में सहजता आने लगी।

तो क्या मैं अब साहब बन गया?

बिल्कुल नही इसका जबाब बताने के पहले एक छोटी सी घटना, मैं अपने भैया से किसी मुद्दे पर बात कर रहा था ,मैंने कहा धन का और सुख का चोली दामन का साथ है बिना धन के मन और तन दोनो सुख नही भोग सकते । खूब पैसा हो तभी ‘राम-राज्य’ आएगा इसीलिए खूब पैसा बनाना चाहिए।

भैया:- पागल “राम राज्य में सब सुखी थे सब कुबेर नही थे, राम राज्य में निषादराज भी थे , सबरी भी थीं, और समाज के हर वर्ग के हर पेशे के लोग थे” सब के सब खुश थे तो अब बताओ क्या तुम्हारी बात सही है।  ” धन ख़ुशी का स्थानापन्न नही होता”     धन खुशी का स्थानापन्न नही होता कितनी सटीक बात कही भैया ने ।

जीवन मे सहजता और स्पष्टता यही दो है जिनके चोली दामन के साथ से जीवन मे राम राज्य आता है। और मुझमे इन्ही दो गुणों का अंकुरण स्वामी कृपा से आने लगा, ऐसा नही की अब मैं परेशान नही होता या मुझमे क्रोध नही आता या मैं अपनी इन्द्रियों का विजेता हूँ । एक गृहस्थी ,सांसारिक व्यक्ति को इन सुनामियों से अपनी आध्यात्मिक नाव को बचा के चलना पड़ता है, हर क्षण दुनियावी झंझावात नाव को डुबाने के लिए तत्पर रहते हैं। “गुरु💐💐” का होना इन सब चिंटू चिंताओं से मुक्त कर देता है। कि कुछ भी हो जाय मेरे नाव की पाल उसके हाथों में है जिसके तरकश के एक बाण से ऐसे सहस्त्रों समुद्रों का नामोनिशां मिट जाए।

मेरे सदगुरु ,मेरे मालिक मुझमे कोई योग्यता नही है👏👏 न ही मैं आपके कृपा का पात्र हूँ । आप तो स्वच्छ, कल-कल बहती नदिया की धार हो ,मैं कीचड़ में सना पशु मैं आपके जल को प्रदूषित करने के अलावा कर भी क्या सकता हूँ?

हे!  करुणा निधान मुझ में मात्र

मलिनता है स्वीकार करें 😢👏

शैख़ करता तो है मस्जिद में ख़ुदा को सज्दे,

उस के सज्दों में असर हो ये ज़रूरी तो नहीं ,
सब की नज़रों में हो साक़ी ये ज़रूरी है मगर,

सब पे साक़ी की नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं

कृपा करें प्रभुवर🕉️⚛️👏👏🌺🌺🌼🌼❤️❤️❤️❤️