कितना प्यारा मन तुम्हारा 

क्यों छुपा है सवालो में ।

बोल दो न जरा

खोये हो, किन खयालो में ।

*

अकेले नहीं हो तुम यहां

चुबती हुई  सन्नाटो में ।

और भी है कई, 

जो गुजर रहे है गर्दिशो में ।

*

देखलो, वह चाँद वहाँ

देख रहा है राह किसकी ?

अंधेरो से निकाले कोई 

कर रहा है कबसे बिनती ।

*

युगो युगो से तपता सूरज

मांग रहा है ठंडक थोड़ी ।

किसी ने नहीं देखि पीडा

सब रौशनी में खेले होली ।

*

घुटती हुई ज्वालामुखी

बहती दायरे भूलकर ।

ठंडी हवा का झोका मिले

यही एक आस लगाकर ।

*

कितना लगता है शांत समंदर

पर तड़प छुपी है गहराई में ।

गूंजती आवाज़ हर तरफ-

“धरती से मिल जाऊं मैं” ।

*

हिमपर्वत भी नहीं कहता 

बहुत लगती ठंड  उसे ।

आकाश को भी लगता होगा

मिट्टी को लगाए गले ।

*

सबको यहाँ है

अपने अपने  दर्द

दुसरो का दुःख बाटने

नहीं है थोड़ा भी वक़्त ।

*

कहते है दुःख जिसे

यही  तो है जिंदगी,

थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी

फिर भी प्यारी है ज़िन्दगी ।

*

तो आज छटक्कर  दूर करें

मन के सब गीले-शिकवे

दुखो का तोल संभलकर

सुखो का स्वागत करें ।

*

 

 

A very big Thank you to my Secret Santa for the wonderful gift. You made me feel so special. May the divine always shower with all the goodness in life. Thank you once again.

 

 

Image by Myriams-Fotos from Pixabay