जय श्री हरि 🌼
।।तेरे दर पे मैं नाचूंगी।।
तेरे दर पे मैं नाचूंगी आज दिल खोल कर।
हर माया बंधनों को किनारे छोड़ कर।।
तुम्हारे लिए है ये जीवन आई हूं सब त्याग कर।
तेरे दरबार में स्वामी बैठी सब संबंध तोड़ कर।।
जानूं नहीं कुछ मैं मुझे बस चाह है आपकी।
संसार छूट गया मेरा तुमसे ये नाता जोड़ कर।।
मेरे हर स्वास पर स्वामी है अब अधिकार तेरा।
चाह यही गुजरे चरणों में अब ये जीवन मेरा।।
मेरे जीवन को दे दी है तुमने ये नई सांसें।
करू अर्पण तुम्हीं पे मैं अपनी ये नई सांसें।।
मैं मांगू तुमसे कुछ, ये सोच के आए मुझको लाज।
क्या नहीं दिया मुझको, बना दिया वो जो हूं मैं आज।।
हर पल आगे ही बढ़ता गया मेरे जीवन का ये रथ।
हांकते हो इसे तुम ही, दिखाते हो सही इक पथ।।
तुम हो ममता की मूरत ओ मेरे मोहन।
तुम्हें देख ऊर्जा आ जाए जैसे हो यौवन।।
शरीर कब छोड़ देगा साथ मुझको ये नहीं मालूम।
तू रहेगा साथ हमेशा ही मुझे है बस यही मालूम।।
मेरे कलुषित मन में तुम कर दो प्रेम की वर्षा।
हर ताप शांत हो जाए कर हो ज्ञान की वर्षा।।
शुद्ध कर के मेरे चित्त को स्वामी, अपना निवास कर दो।
आ के विराजित हो कर के, मेरे मन को शांत कर दो।।
धन्यवाद।
Pic Credits: omswami.org
Comments & Discussion
16 COMMENTS
Please login to read members' comments and participate in the discussion.