जय-जय महामाई!

माँ, प्रभु से एक हो जाने का दिन
तुम्हें भी मुबारक हो!
आखिर तुमनें भी तो कितने सालो से
राह देखी होगी ना स्वामीजी की!

आज मेरी महामाई भी तो बेहद्द खुश होगी।

बहक-बहक थिरक रहे होंगे
पूरे त्रिभुवन में,
शिन्जान मणि की पायल पहने
उनके रक्ताम्बर चरण।

अखिल ब्रम्हांड में
अपनी रात की चुनरी लहराते हुए,
मेरी महामाई आज और भी
निखर- निखर जाती होंगी।

आज मेरी माँ की होली है।
आज ही दीवाली!
आज प्रभु की तपस्या पूर्ण हुई।
आज प्रभु स्वयं महामाई हुयें!

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हे जगत्धात्री!
आपका शुक्रिया।

शुक्रिया वो सिद्ध साधू बन
आकर प्रभु के आगमन वार्ता का
संखनाद करने के लिए।

शुक्रिया अपने हिरण्यगर्भ को
मातारानी के गर्भ में समाने के लिए
ताकि प्रभु को उनका पहला घर मिल सके।

शुक्रिया पिताश्री के ज्ञान में
खुद को प्रवाहित करने के लिए
ताकि प्रभु को उनका पहला पाठ मिल सके।

शुक्रिया विनी दीदी में ममत्व बन घुलने के लिए,
ताकि मातारानी के ना होने पर प्रभु भूखे ना रहे।

शुक्रिया राजन भैया में विश्वास बन बसने के लिए,
ताकि प्रभु को आत्मिक सहयोग की कभी कमी ना हो।

सुवि जीजाजी और पूजा भाभी में तुम ही सात्विकता बन आई
ताकि प्रभु के आस-पास सिर्फ सत्व की प्रधानता हो।

दक्ष, आदि, अमित की किलकारियों में गूंजने का शुक्रिया, माँ!

प्रभु के लिए मोहल्ले में book stall और library की
व्यवस्था कर मेरे प्रभु को गढ़ने का शुक्रिया।

Prof शर्मा जी के प्रेम में बहकर प्रभु को छूने का शुक्रिया।
Parvesh Singla जी में दक्षता बन प्रभु को श्री से भरने का शुक्रिया।
Harpreet Singh जी की पारखी नज़रों में तुम ही तो थी!
मेरे स्वामी को उनकी पहली job देने का शुक्रिया, माँ!

मेरे नन्हे कृष्ण, बटुक भैरव में
पूर्वाभास की शक्ति बन
उन्हें छोटी उम्र में
प्रकांड ज्योतिषाचार्य बनाने के पीछे भी
तुम ही थी।

ग्रहों को पढ़ने से लेकर
ग्रहों को नियंत्रित कर सकते की
इस पूरी यात्रा में,
सूक्ष्म रूप से
तुम ही तो थी!

इसलिए शुक्रिया, माँ!

India से Australia तक। Australia से Canada तक। Canada से North America होते हुए फिर India तक।

मेरे स्वामी की ज़िन्दगी में
प्रेम, सम्मान, कीर्ति, ख्याति
और श्री रूप में
हर क्षण विद्यमान रहने का शुक्रिया।
शुक्रिया कि तुम्हारी रहमत ने
मेरे नाथ को कभी अभाव ना देखने दिया।
शुक्रिया कि तुम छाया बन हर साँस में
मेरे स्वामी के साथ रही।

शुर्किया हर उस व्यक्ति, वस्तु
और परिस्थिति के रूप में
प्रकट होने के लिए, माँ,
जो आज तक प्रभु की ज़िन्दगी में आयें।

वो सब उस राह की सीढ़ियां थें
जो तुम पर आकर ख़तम होती है।

To be Continued…