Oh, Revered Swamiji, please accept the following few lines at your lotus feet. It came out directly from dil se as usual. Hope that, I might have succeeded to some extent in conveying my inner feeling and samarpan along with other devotees / disciples. It is not superficial rather filled with deep emotion and a sense of being taken care. Advance apologies for any unintentional errors / mistakes or meanings which I did not intend.
Maaf kar dena oh Swamiji, saaf na kar dena 😉.
ओ स्वामीजी खफा न होना और न ही होना नाराज़,
हम भक्त हैं आपके ओ भगवन लगाए आपके चरणों की आस;
मन की करते हैं आपको हम दिन रात परेशान,
पर हम निर्बोधों पर कृपा दृस्टि बनाये रखना हे दयावान.
आप के सिवाय कोई दूजा न है राह दिखने वाला,
आप ही के स्मरण से तोह मुख में जाता है निवाला;
मन के हमारे माँ बाप और अपनों ने हमें पाला,
पर जीवन में हमारे आप ही ने तोह लाया उजाला.
जिंदगी क्या है – हमें न पता हे भगवन,
पर आप ही के चरणों में किया है पूर्ण समर्पण;
आप ही हो हमारे पालन कर्ता,
माता भी आप हो और आप ही पिता.
कैसे बयाँ करें दिल की दास्ताँ,
विरानो से गूंजती हैं आप ही की पहचान;
चमत्कार कहें या उपरवाले की दया,
जो हमें मिला है आप का शीतल साया.
जब भी हमें सताये कोई भी संकट,
आप ही का चेहरा आंखों में होती है प्रकट;
बेवक्त याद करते हैं आपको – देते हैं बहुत कष्ट,
पर आप ही बताओ प्रभु क्या करें हम भक्त.
बस यही गुजारिश है हम दास जनोंकी,
इसी भांति बनाये रखें अपनी कृपा की नज़र;
बेखौफ जियेंगे हम और हँसते हँसते दम तोड़ें,
विलीन हो जाएं बस आप ही की डगर.
On behalf of your Charnashrit all devotees. Jai Shri Hari…
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