लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि पूरा दिन बीत जाता है और मैं मुँह नहीं खोलती कभी-कभी। “क्या मौनी बाबा बन गयी हो?” नाह! मुँह नहीं खुलता है। सर के अंदर तो पूरा Naaptol वाला scene रहता है ना। कचर-कचर-कचर। आज दिमाग का कचर यहाँ os.me पर लिख रहे हैं। मेरे सनकी मन के भीतर स्वागत है आपका!
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मैं गलतियों की Annabelle हूँ। पीछे पलट कर ज़िन्दगी को देखूँ तो मिर्ची बम जैसी लड़ियों में गलतियाँ ही नज़र आती है – अब फूटे तब फूटे और मुँह काला, बाल Einstein कर दे। धतूरा हूँ इंसान के रूप में। सभ्य समाज से निष्कासित। मति-गति स्थिर नहीं। कोई ठहराव नहीं। ज़रा-सी समस्या क्या आती है भैं-भैं कर सीना पीटने लग जाती हूँ आपके सामने। पता नहीं Tolerance का इत्ता सप्लाई कहा से लाते हो आप! कोई और होता तो गंगा जी में बहा देता मुझको!
मन की स्थिरता छोड़िये, प्रभु, यहां तो तन भी 24 घंटे To and Fro डोलता ही रहता है। दोस्तों ने नाम दिया है — pendulum, ढीठ, आलसी और अथाह confused प्राणी मैं और एक आप धीर, स्थिर और कर्मयोगी। अरे! आप तो लिखते हुए भी भागते हैं treadmill पर, प्रभु! मेरा तो बस मन ही भागता फिरता है Time-बे-Time। तन हैं एक बड़ा-सा पहाड़ी आलू। बैठा रहता है।
फिर भी कहती हूँ कि जीवन वरदान है मेरा सिर्फ इसलिए क्योंकि आप हो इसमें। और आप रहोगे। क्योंकि, सरकार, हमारी मति-गति तो आप हैं। Partner in all my ‘crimes’, हम अकेले नहीं डूबेंगे। आप भी डूबियेगा साथ में। मैं मंद बुद्धि ही सही पर मेरे ‘शिव’ के भीतर तो ब्रम्हांड का सारा Intelligence समाहित है। मेरी अस्थिरता भी आपकी और आपकी आतंरिक शांति मेरी! क्योंकि Airtel चाची कहती है, “जो तेरा है वह मेरा है!” My best friend, philosopher and guide 🙂 (Airtel चाची नहीं, आप, प्रभु!)
You are my prefect mirror. जानती हूँ कि इन पिद्दी-पिद्दी afflictions से परे मेरा जो नहाया-धोया स्वरुप है वह आप ही हो। मिटटी से सनी हूँ। आप नहला-धुलाकर Red Frock पहना के दो चोटी कर देना ना मेरे consciousness की!
चारों वेद का ज्ञान आप पर आश्रित है | पंचमहाभूत आपकी मुठ्ठी मे हैं| भौतिकी से लेकर दर्शनशास्त्र तक सिर्फ आपका तत्व समाया हुआ है | नक्षत्र और ब्रह्मांड जिनसे उत्पन्न हुए वो शून्य बिंदु हैं आप! अगर आप आदियोगी और महातपस्वी हैं तो सबसे बड़े गृहस्थ भी, जिन्होंने पूरी सृष्टि को ही अपना परिवार बना लिया है। पूरे ब्रम्हान्ड पर तांडव भी आप करते हैं तो निर्विकल्प समाधि के मूल में भी आप स्थित हैं | नशा भी आपका है और अनुशाशन की उत्पत्ति भी आपसे हुई है| अगर आपसे बढ़कर कोई प्रेमी नहीं तो श्मशान में भस्म रमाये आसक्तियों से परे महाअघोर भी आप हैं|
आप एक जटिल समन्वय हैं हर उस चीज़ का जो है और हर उस चीज़ का भी जो नहीं है|
Every duality manifests from Your womb and merges back into You.
अस्थिर लहरों की गहराइयो में अथाह मौन है। अस्थिर भी सागर है और उसी की गहराइयो में मौन है। मैं अशांत हूँ क्योंकि अभी आपकी गहराइयों में डूबी नहीं। जिस दिन डूब जाऊंगी, मैं भी मौन हो जाऊंगी। लहरों की अस्थिरता भी सागर के सीने पर चल रही है और गहराई का मौन भी उसी सागर के अंतःकरण में हैं। मेरी अस्थिरता और मेरा ठहराव दोनों ही आप हो। (कुछ आया समझ आपको? मुझे भी नहीं आया। सब Potato-Tomato हो गया सर के अंदर!😂😂)
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मैं अल्हड़ किसी सागर की मतवाली लहरों सी,
और तुम? उस सागर की गहराइयों से मौन |
मेरा अल्हड़पन तुम्हारा ही तो है,
जिसे तुमने समाधि से शांत किया है |
तुम्हारा मौन मेरा ही है,
जिसने अनंतता को खुद में समा लिया है |
सतह में, मैं वो शव हूँ, जो दिख रहा है |
गहराई में, मैं ही ‘शिव’ हूँ, जो देख रहा है |
लहर ही गहराई है, अल्हड़ है मौन,
तेरा ‘शिव’ तुझमें है, जान- तू है कौन?
#स्वामीजी के श्री चरणों में समर्पित
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