Today is Swamiji’s Birthday. We can’t express gratitude, blessings and heartfulness which swamiji has paved in our life. (People on OSdotme and others). But once one has experienced that oneness with Lord it is natural (swamiji has clearly said that in his Autobiography ).
On the occasion of his birthday I will present here some of the jewels I collected from different peoples who have experienced that oneness. Already swamiji have spoken that Take knowledge from wherever it comes. Also Lord Dattatreya have 24 gurus
1. भगवान की दी हुई विवेकशक्ति जिसमे कम प्रकट हो जाती है वो शिष्य हो जाता है और जिसमे ज्यादा प्रकट हो जाती है वो गुरु हो जाता है। (Translation:- God’s given prudence/discretion when manifested less in someone he/she will become disciple and when manifested more will become Master)
2. परमात्म प्राप्ति करने में, कल्याण करने में केवल शिष्य की प्रधानता है। यदि शिष्य गुरु की आज्ञा का पालन करे तो गुरु की सामर्थ्य न होने पर भी शिष्य का कल्याण हो जाएगा क्यूंकि गुरु की आज्ञा का पालन करने से शास्त्र की आज्ञा का पालन होता हैं।(for example :- eklavya)
3. जिसमे श्रद्धा विश्वास है उसी साधन से कल्याण होगा, जबरदस्ती करने से कल्याण नही होगा। भगवान के अनन्त नाम है, पर जिस नाम में हमारा श्रद्धा विश्वास है, वही नाम हमारा लिया श्रेष्ठ है। नाम छोटा बड़ा नही होता।
4. विवेक का नाम गुरु है, शरीर का नाम गुरु नही है।
5. संसार को जाना जाता है, परमात्मा को माना जाता है। परमात्मा को कोई जान ही नही सकता। जब अपने माता-पिता को भी कोई जान नही सकता, उनको सिर्फ माना जाता है, तो वो तो परमपिता है।
6. नाम पुकार है । पुकार में विधि , समय नही होता। इसलिए नाम हर समय ले सकते है, मंत्र नही।
7. हर समय , हरेक परिस्थति में भगवान की कृपा को देखते रहो। तत्तेऽनुकम्पां सुसमीक्षमाणो (श्रीमद्भागवत )
8. सब सुखी हो जाय ऐसे भाव वाला सुखी हो ही जायेगा।
9. जो वस्तु कही है और कही नही है, वह कही भी नही है, किसी जगह भी नही है— केवल इस बात से तत्वज्ञान हो सकता है। जो नही होता वही मिटता है। जो होता है वही मिलता है।
Once again Happy Birthday Swamiji🙏🙏🙏
P.S. :- सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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