My Lord Watches Over Me

English translation can be read at the end of this post:

यह बात तो सच है कि जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आते है, लेकिन ईश्वर कृपा किसी भी दुख का अहसास नहीं होने देती। कुछ ऐसा ही मेरे साथ पिछले कुछ समय में हुआ जो कि स्वामी जी की अपार कृपा का प्रमाण है।

स्वामी जी के आशीर्वाद से हमारे घर में एक छोटे सदस्य ओम का आगमन हुआ, अभी उसके स्वागत की तैयारी चल ही रही थी कि एक दिन अचानक मेरी माता जी का स्वास्थ्य काफ़ी ख़राब हो गया। मेरे कहने पर वो डाक्टर के पास जैसे ही गयी तो उसने कहा कि आप एक बार अल्ट्रा साउंड करवा लो। 2 दिन के बाद जैसे ही रिपोर्ट आयी तो वह बोली  रिपोर्ट थोड़ी ठीक नही है आप बायोप्सी परीक्षण करवा लीजिये। यह सुन कर तो हमारे परिवार के होश उड़ गये कि सब कुछ तो ठीक चल रहा है, फिर यह बीच में क्या?

मैं काफ़ी घबरा गयी थी और हर एक बेटी की तरह मैं भी मेरी माँ से बहुत प्यार करती हुँ। मैंने उनको कहा देखिये कोई घबराहट वाली बात नहीं है, स्वामी जी सब ठीक करेंगे। इधर मैंने सोचा कि मैं स्वामी जी के एकांतवास में जाने से पहले उनसे प्रार्थना कर लू……तो स्वामी जी ने इमेल में पूछा कि कल बायोप्सी परीक्षण है या आपरेशन….मैं थोड़ा डर गयी क्योंकि स्वामीजी ने आपरेशन शब्द का प्रयोग किया। माँ का बायोप्सी परीक्षण हुआ जिसमें की गर्भाशय में  सौम्य ट्यूमर कोशिका पाये गये। वो समय कुछ ऐसा था कि सिर्फ़ और सिर्फ़ मन में प्रार्थना थी कि स्वामी जी जो आपकी इच्छा में है वो हो, बस आप मुझे इस चुनौती को सहने की शक्ति प्रदान करें। फिर माँ की 22 अगस्त को एमआरआई की गयी जिसमें पुरी जाँच की गयी और सब स्पष्ट हो गया। हम लोगों नें कम से कम 6-7 डाक्टरों को परामर्श किया, हर किसी ने यही कहा कि बिना देरी किये आपरेशन करवा लीजिये और उन सभी ने कहा कि यह आपरेशन private क्लिनिक के बस का नहीं है, केवल आप चुनिंदा अस्पताल में ही करवाये। मैंने प्रार्थना करके स्वामी जी को एमआरआई रिपोर्ट ईमेल कर दी थी, लेकिन डाक्टरों नें chemotherphy और radiation जैसे शब्दों का प्रयोग करके इतना डरा दिया कि मैंने फिर से स्वामी जी को प्रार्थना की तो स्वामी जी ने उत्तर लिखा कि जब रिपोर्ट मुझे ही भेज दी है तो डरने को क्या रहा? मैं शांत हो गयी।

और इसी बीच यह हुआ कि माँ के लिये मुझे दफ्तर से बहुत leaves लेनी पड़ी और मेरी टीम वो प्रदर्शन दे नहीं पायी जो कि होनी चाहिये थी और 22 अगस्त को ही मुझ से बोला गया कि आप त्यागपत्र दीजिये क्यों कि ऐसे में आप काम नहीं कर पायेंगी और शायद आगे भी आपको समय लग सकता है………बात सही थी क्यों कि अभी मुझे माँ के स्वास्थ्य के बिना कुछ भी सूझ नहीं रहा था। मैंने मन बना लिया कि त्याग ही करुगी।

मन में आया कि हर बात के लिये अब क्या स्वामी जी को तंग करु? लेकिन अगर स्वामी जी को प्रार्थना ना करु तो किससे कहु? हर परिस्थिति से लड़ने के लिये स्वामी जी ही शक्ति प्रदान कर रहे थे।

27 अगस्त,2014 को माँ के सारे test दोबारा से हो रहे थे और वो आपरेशन के लिये भर्ती हो चुकी थी। मेरी आँखे बार-२ भर कर आ रही थी। मैंने अपनी माँ से हंस कर कहा कि भगवान आशुतोष सबसे बड़े शल्य चिक्तिसक माने जाते है क्यों कि उन्होंने ही गणेश जी का दूसरा मस्तक लगाया था और मैं स्वामी जी को भोलेनाथ ही मानती हुँ और आपका आपरेशन उन्होंने ही करना है, इस लिये आप निश्चिंत हो जाओ। वो रात मैंने बहुत कठिनता से काटी।

28 अगस्त,2014 को दोपहर 12.00 के क़रीब माँ को आपरेशन थियेटर में ले जाया गया। माँ जाने के बाद मैं इतना फूट फूट कर रोयी कि शायद अब मैं अपनी माँ को किस हालत में देखुगी। कुछ समय बाद मेरी माँसी भी वहाँ आ गयी। हम दोनो आपरेशन थियेटर के बिलकुल बाहर बैंठी थी कि मुझे लगा कि स्वामी जी आस पास हैं. और मैने उन्हें अपने वस्त्र ठीक करते हुये बहुत तेज़ी से आपरेशन थियेटर की और जाती हुए अंदर जाते देखा, मैं एकदम सकपका गयी कि स्वामी जी यहाँ? तभी आपरेशन थियेटर से एक लड़का जिसका नाम विलियम था, बाहर किसी काम से आया, मेरे पूछने पर बोला आपकी मां का आपरेशन अब शुरु हुआ है। मैंने समय देखा तो 12.45pm के क़रीब थे। यह आपरेशन लगभग 3घंटे चला और माँ की uterus and ovaries निकाल दी गयी और आगे के परिक्षण के लिये नमूने लिये गये।

3.45pm माँ आपरेशन थियेटर से बाहर लायी गयी और माँ बहुत ही दर्द में थी, काँप रही थी और उन्हें दौरे से पड़ रहे थे। तभी उसी समय मुझे स्वामी जी की ईमेल आयी कि माँ का आपरेशन कैसा रहा? उस समय स्वामी जी की इमेल का आना मेरे लिये किसी मरहम से कम नही था, ऐसा लग रहा था कि जो स्वामी जी की इच्छा में होगा वही होगा।
मैंने उत्तर में स्वामी जी को सब बताया…..

वो रात माँ ने रीकवरी वार्ड में बितायी। अगली रात को जब माँ आराम कर रही थी तो एक डॉ Tanu(जो कि माँ के आपरेशन के समय में वहाँ मौजूद थी) दौरे पर आयी और बोली कि आपके ट्यूमर कोशिका  तो हमें कहीं मिले ही नहीं तो माँ ने बहुत हैरान होकर पूछा कि जो फिर यह क्या था?

सुबह जब माँ ने मुझे बताया तो मैंने हंस कर कहा यह स्वामी जी की कृपा थी। मैंने आपको कहा था था कि महादेव जी सबसे बड़े surgeon है और मैं स्वामी जी को भोलेनाथ मानती हुँ।

माँ सही सलामत घर आ गयी लेकिन उनकी अभी एक final test रिपोर्ट आनी थी।
माँ के घर आने के बाद 2 सितंबर को मैंने इस्तीफ़ा डाल दिया और 3सितंबर से मैंने स्वामी जी को स्मरण करके डट कर नयी नौकरी की तलाश शुरु कर दी। क्यों कि corporate world में gap पड़ने पर same profile मिलना काफ़ी मुश्किल होता है। काफ़ी जगह हाँ हुई और ना भी हुई।

19 सितंबर को मैं माँ की final report लेने गयी तो pathology डाक्टर बोली कृपया आप कल आ जाये क्यों कि हमें during आपरेशन ट्यूमर कोशिका trace नहीं हुये सो हम एक healthy discussion के बाद ही आपको report देंगे और आज ( 19 सितंबर)  ही मेरी एक MNC Company से offer letter आयी है जो कि better package और better grade की है।

कोई माने या ना माने, लेकिन मेरे यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि इतनी मुसीबतें एकदम से आये और बिना छुये एकदम से ख़त्म हो जाये।

कोटि कोटि नमन
चरणस्पर्श
मणि

Translated Version:

It is true that in life we come across a number of ups and downs, but the grace of lord does not let the sorrows ruin our inner peace. I experienced a similar situation recently, which is but one of the many instances where Swamiji showered us with his divine grace.

With the blessings of Swamiji, a new member, little OM entered our lives, filling the atmosphere with joy and smiles. While we were still preparing for celebrating this moment, suddenly my mother’s health started deteriorating. I persuaded her to visit the doctor, who in turn suggested to get an ultrasound done as soon as possible. We received the report after two days and the doctor informed, that the report was not good and he wanted mother to get the biopsy done before he confirmed anything. The entire family was in shock to hear this news. Everything was going just fine, so where did all this come from?

I was really scared within. Like any other daughter, I love my mother immensely. I tried to assure her, that there was nothing to worry about and Swamiji would take care of everything. It occurred to me that I must pray to Swamiji and let him know about mother, before he leaves for his solitude. While, I was still thinking of this, I got an email from Him asking, if it was the biopsy tomorrow or the operation…that moment, I was alarmed because Swamiji used the word operation.

The biopsy test results showed that there were benign tumor cells in the uterus. I started praying in my mind to Swamiji, that I’ll accept whatever happens as your wish but please bless me with the courage to withstand this situation. Then, on 22nd August the results of the MRI clarified everything. We consulted almost six to seven doctors and all of them suggested that mother should get operated as soon as possible. “This operation can only be performed in some specific hospitals and not just in any private clinic,” they said.

I offered my reverence to Swamiji and emailed Him the MRI report. But, with the repeated use of the terms “Chemotherapy” and “Radiation” by the doctors, I got so stressed out, that I could not resist sending yet another email to Him. He replied, “When you have aleady sent the report to me, then what’s left to worry about?” This finally calmed me down.

While all this was happening, I had to skip work for many days to be at home and take care of mother. As a result, my team’s performance was dropping continually and by 22nd August, my manager suggested me to resign. He said, that I wasn’t able to concentrate on work and as it might continue for a while, I was better off taking a break. What they said was not completely incorrect, though. The only thing that I could think of was my mother’s health, and how I could be there for her while she would be undergoing the treatment. I finally decided to quit the job.

It came to my mind that I should not be bothering Swamiji, every now and then. But, if not Him, then who should I pray to? He was the only one who was granting the courage to face all these adversities.

By 27th August, mother was admitted for the operation and all the tests were being done once again. I could not control the tears in my eyes, but I still smiled and said to mother “Lord Ashutosh, is the finest surgeon of all, because he was the one who planted the head for Ganesha. For me Swamiji is Lord Shiva Himself, He is the one who will be doing your operation, you need not worry about anything”.

That night was the most difficult one for me.

On 28th August 2014, at around 12 noon she was taken to the operation theatre. I cried my heart out, not knowing how and when I would see her next. After some time, her sister joined me at the hospital. We both were just sitting outside the operation theatre and I felt as if  Swamiji was around. I saw him adjusting his robe and moving swiftly towards the operation theatre and entering inside. I was stunned, how could this be? Swamiji here?

Immediately, a guy named William came out of the Operation Theatre, and he said, that the operation had just begun. The time then was 12:45 pm. It went on for almost 3 hours and my mother’s uterus and ovaries were removed and samples taken for further tests.

At 3:45 pm, she was brought out of the operation theatre and was suffering from acute pain, almost trembling and shivering. It was exactly then, that I received an email from Swamiji. At that moment of despair, His words were like the Divine Nector for me, as if whatever was happening was His divine will and we were being take care of, no matter what. I responded to Him elaborating everything.

When mother was resting in the recovery ward, a doctor, Dr Tanu came for the regular round and informed mother that during the operation, the doctors did not find any tumor cells in her uterus. As much as she was surprised, she was also shocked to hear this.
The next morning she told me about her conversation with Dr. Tanu, I laughed and said, “It is but Swamiji’s grace, did I not tell you that Lord Shiva is the biggest surgeon and for me, Swamiji is but the Lord himself”. We brought mother back home, but there was still a final test report pending.

After she came home, on 2nd Sept I finally submitted my resignation, offered my obeisance to Swamiji and by 3rd Sept I had begun the search for a new job in full swing. In the corporate world, it is difficult to get the same profile, if there is a gap between jobs and so I had to proceed without any further delay. A few companies interviewed me in the following weeks.

Today, on 19th September, when I went to collect mother’s final report, the pathologist told me to come the next day. She added, that as they could not trace the tumor cells during the operation, it was necessary to have a healthy discussion before handing over the reports. It also happens that today (19th September), I got a job offer from an MNC with a better package and grade.

Believe it or not, for me it was not less than a miracle in itself that so many hitches came, and just vanished in thin air, without being able to touch me and my family. It could only happen with the grace of our very own lord, Swamiji.

My humble pranams in the lotus feet of Swamiji

Mani


This post was originally published on Swamiji’s fan club website which no longer exists, to know more about that, refer to my intro part of the archives series here.

P.S: changed ampersand sign to ‘and’ as ampersand sign is not supported.

#TheWriteChoice

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