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    गुरु-वंदना

हे गुरुदेव तुम्हें, करें नमन हम
दें आशीष, हों चिन्मय हम

तेजो-मय हों, तम छाँटे हम
आनंदित हो, नभ छू लें हम

अंत: जीतें, साँसों के संग
मन में रंग लें, विश्व विहंगम

हे मात पिता, हे जगतगुरु तुम
हे स्वामी ओम्, हे सदगुरु तुम

पग पग बढ़ते, राह तुम्हारी
सरल सहज हो, गति हमारी

तुझ स्वरूप मन, सुंदर दर्शन
नयन प्रफुल्लित, मुदित मंगलम

हे गुरुदेव तुम्हें, करें नमन हम
दें आशीष, हों चिन्मय हम

रचना: – सौरभ दीक्षित