कुछ दिन पहले ही मेरा एक्सीडेंट हो गया चोट ज्यादा नही आई । मेरे एक रिलेशन में आंटी को कोरोना पॉजिटिव निकला हॉस्पिटल ने जबलपुर के लिए रेफर कर दिया।इसी जल्दी में मैं हॉस्पिटल जा रहा था उनसे मिलने और उन्हें देखने। शहर के मेंन रास्ते में भीड़ थी तो मैंने दूसरा शॉर्ट कट लिया और जल्दी से जल्दी पहुचने के लिए तेज रफ्तार से जा रहा था,अचानक से एक लड़का सायकल ले के बीच सड़क में ही घूम गया उसको बचाते-बचाते हमारी टक्कर हो ही गई। गलती पूरी उस लड़के की थी,अब आगे का सीन वही था जो हमारे यहां होता है 4 लोग इकठ्ठा हुए और सही-गलत की पैरवी शुरू ☺ कुछ जोशीले लोग तो इस उम्मीद में थे कि कैसे अब इस लड़के की पिटाई मैं करूँगा ☺।
सच कहूं मुझे गुस्सा आया ही नही मुझे चोट भी आयी और मेरा नुकसान भी हुआ मैने कोशिश भी की ,कि बनावटी गुस्सा करूँ और इससे नुकसान की भरपाई लूं☺ पर अगले ही पल मुझे लगा ये मैं क्या कर रहा हूं “सत्यम तुम्हे ज्यादा शुक्रगुज़ार होना चाहिए की ईश्वर ने तुम्हे बड़े नुकसान से बचा लिया”
मैं चाह के भी गुस्सा नई कर पाया।
ये सब कैसे हुआ? यही सोचते-सोचते मैं हॉस्पिटल और फिर घर आ गया।
बाद में मुझे लगा हो न हो ये ध्यान के कारण फर्क आया हो ।
ईश्वर जाने सच क्या है ? पर उसकी गलती होने के बाद भी मुझे उसके ऊपर दया आयी जैसे वो गिरा जबकि चोट मुझे ज्यादा आयी😊
Comments & Discussion
20 COMMENTS
Please login to read members' comments and participate in the discussion.