मुझे यकीन है कि तू देख रहा है..

मुझे देख तू भी मुस्कुरा रहा है….

गिरता पड़ता मैं तेरे पास आना चाहता हूं..

बन शजर तेरी खिड़की के पास रहना चाहता हूं….

तुम आओगे कभी उस खिड़की से झांकने को..

जिसके बाहर खड़े हैं हम तुम्हें ताकने को….

तुम्हारी नज़र भी पड़ जाएगी कभी न कभी..

ये ख्वाब होगा पूरा मेरा कभी ना कभी….

मुझे यकीन है तू सुन रहा है..

जो कुछ ये मन तुझसे कह रहा है….

जो सुनाई दे चहचहाट उन परिंदो की..

उनके कुनबे में मैं भी शामिल हो जाऊं….

शामिल हो रोज तेरे दर पर आऊं..

और तेरी ही बातें तुझे गा सुनाऊं….

मुझे यकीन है कि तू समझ रहा है..

हालत मेरी बखूभी बूझ रहा है….

अज्ञानता के तिमिर में भटक रहा हूं..

रोशनी में होकर भी तीरगी में जी रहा हूं….

तेरा एक दीदार बहुत है मेरे परवरदिगार..

इस अंधेरी जिंदगी को रोशन करने के लिए….

मुझे नहीं मालूम कब ऐसा होगा..

जब तेरे कदमों में मेरा ठिकाना होगा….

तुम चाहे कहीं भी रहना..

लेकिन मेरे हो तो बस मेरे दिल में रहना….

तुम मुझे भूल मत जाना..

भूल से भी भूल मत जाना 🥺….

हमें जुदाई की ऐसी सजा ना दो..

तुमसे कुछ ना मांगू बस कदमों में ठिकाना दे दो 🥺….

Jay Sri Hari

Om Swami Namo Namah