एक रात, चाँद और मेरी बात
गंगाधर के शीश में सजा है वो,
मां त्रिपुर सुन्दरी के मुकुट की शोभा है वो,
हर दिल को भाता, सबके ही मन को लुभाता है वो
उस चाँद ने भी क्या किस्मत पाई है,
जिनके दर्शन के लिए दुनिया ललाइत है…
उन्हीं के सर का ताज बन बैठा है वो।
हर रात निकलता है,
कितनों के ही मन को बहलाता है वो,
बादलों में से छिपकर भी मुसकुराता है वो।
हर टूटे दिल को अक्सर समझाता है,
और कहता है…
मैं साक्षी हूँ तुम्हारी जुदाई का…
फूट पड़ी जब जब तुम्हारे नयनों से
सहसा जल की धारा,
मेरी शीतल किरणें ही तो बनी हैं तुम्हारा सहारा।
मगर स्मरण रहे…
लाख चाहे ये दिल….फ़िर भी,
उन दुआओं में असर कम है अभी।
वक्त बदलते देखा है मैंने,
वो किसी के लिए रुका है कभी ?
इश्क से कायम ये भरम है वरना,
अक्स पानी पे ठहरता है कहीं ?
जय पार्वती पतये,,,,हर हर महादेव🙏
All Glories to Swamiji🙏
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