कबूतर इश्क का पैगाम देता है दिलों को दिलों से बांध देता है जो समझते हैं कबूतर को सिर्फ एक परिंदा यह कबूतर अपने खतो से मोहब्बत का इतिहास बदल देता है
मेरी कुछ पंक्तियां इस तरह है
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है जिन गलियों में मिले मोहब्बत बस वहां जाने का एक बहाना ढूंढता है….
कभी रोकूं कभी टोंकू इस इश्क कबूतर को मेरे ना जाने कहां से वहां जाने के बहाने ढूंढता है…
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
कभी सोचूं कभी चाहूं कभी बाहें फेलाऊ उन बाहों से यह उड़ने का बहाना ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
कभी ख्वाहिश कभी चाहत कभी मौसम की राहत इन सबके बीच मोहब्बत ढूंढता है…
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
ना महफ़िल में जाना कुछ बातें बनाना इन सब से कुछ राहत ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
कुछ कश्मे कुछ वादे कुछ सच्चे इरादे इन सब में डूब जाने की आदत ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है…..
कभी सच्चा कभी झूठा इस दिल को है लूंटा इस लूटे दिल में इबादत ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
आज प्यार कल धोखा इस दिल को नही रोका इन सबसे ऊब जाना ढूंढता है…..
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है जिन गलियों में मिले मोहब्बत बस वहां जाने का एक बहाना ढूंढता है….
कभी रोकूं कभी टोंकू इस इश्क कबूतर को मेरे ना जाने कहां से वहां जाने के बहाने ढूंढता है…
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
कभी सोचूं कभी चाहूं कभी बाहें फेलाऊ उन बाहों से यह उड़ने का बहाना ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
कभी ख्वाहिश कभी चाहत कभी मौसम की राहत इन सबके बीच मोहब्बत ढूंढता है…
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
ना महफ़िल में जाना कुछ बातें बनाना इन सब से कुछ राहत ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है….
कुछ कश्मे कुछ वादे कुछ सच्चे इरादे इन सब में डूब जाने की आदत ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है…..
कभी सच्चा कभी झूठा इस दिल को है लूंटा इस लूटे दिल में इबादत ढूंढता है….
इश्क मेरा कबूतर सा रोज नया ठिकाना ढूंढता है…
श्री राधे
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