कभी कभी हम चाहते हैं कि हमारे करीबी समझे कि हम क्या चाहते है। हर बार बोलना अच्छा नहीं लगता।
लेकिन ना जाने वो क्या बात है जो बात कहने से हमें रोक देती है।
अब हमारे हाथ में तो कुछ रहा नहीं ना क्या किया जाए।
सच कहूं तो कुछ नहीं कर सकते क्यूंकि प्रेम बंधन नहीं मुक्ति है। 😊
इसलिए राज़ी है हम उसी में जिसमें तेरी रज़ा है ❤️
कुछ पंक्तियां आपके साथ साझा कर रहा हूं 😊
क्या जरूरी है?
क्या जरूरी है?
मेरा चुप रहना या तुम्हारा समझना?
मैं तो समझता हूं तुम्हें,
पर कभी तुम भी समझो मुझे।
हर बार कहने से खुद को रोक लेता हूं,
अपने दिल को एक बार और तोड़ लिया हूं।
जानता हूं तुम्हारी अपनी मजबूरी है,
लेकिन ये कैसी मजबूरी जिससे हमारे बीच दूरी है।
पता नहीं क्या जरूरी है,
तुम्हारा वहां रहना
या
यहां मुझसे मिलने आना।।
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