मैं खुद ही प्रेम हूं, मुझे इसकी आवश्यकता क्या ………..?
मैं तुझ में भी ,मैं उसमें भी ,मैं ही तो इस प्रकृति संसार में भी …….. 
मुझको तू कब तक झूठलाएगा ?
कब तक ईर्ष्या ,नफरत, और वासना के सहारो से खुद को बहलाएगा……..?
मैं प्रेम हूं ,फूट पड़ूँगा एक दिन तेरे भीतर , तू क्या तब भी अनदेखा कर पाएगा?

मैं तेरे खुदा का निस्वार्थ भाव हूं, मैं ज्ञान, मैं ध्यान , मै ही तो करुणावान हूं,
तू क्या ,अब अभी मेरे बिन रह पाएगा …?
मैं ही तो तेरा प्राण हूं।
मैं प्रेम हूं । मैं प्रेम हूं । मै प्रेम हूं…….।।

I have often seen people becoming mad to be loved by someone. Earlier I was also one of them. It took a long time to realise the same that Love is not a business that if you invest your input in others you are waiting for some kind of return as well.

It is an emotion which has no expectations , no boundaries, no ego.

Donot seek love outside the world , be the love.
If you become love you can help others in becoming that.
🙏🙏🙏