Today morning I woke up and I remember the dream I had, it was a dream in which I was doing aarti with other devotees and after completing aarti and Jaykara of Har Har Mahadev, a lady among devotees said, हे अन्नपूर्णा माई अपना प्रसाद दे दो।
So I felt urge to sing her glories and came out with this.
(For those who don’t know her story read here
)
हे अन्नपूर्णा माई अपना प्रसाद दे दो।
भक्ति प्रेम वैराग्य अपना ज्ञान दे दो।।
कहूं मैं जो महिमा तेरी, कहां है इतनी क्षमता।
तू है वो मां जो दे दे शंकर को भी भिक्षा।।
तेरी ममता से भर जाए मेरा मन ये सूखा।
जो भी आया शरण में तेरी, रहा नहीं है भूखा।।
पा कर तेरे आंचल को छाया।
कृतकृत्य हो जाए मेरी ये काया।।
बिना अलंकार भी रूप तेरा लगता अलंकृत।
देख जिसे मन विश्वनाथ का रहता झंकृत।।
पूजा विधि ना जानूं मां, मैं तो अनजान।
जो चाहो तुम मेरी अंबा, दे दो वरदान।।
हे अन्नपूर्णा माई अपना प्रसाद दे दो।
भक्ति प्रेम वैराग्य अपना ज्ञान दे दो।।
Annapurna Maa in our family since ages. Since my grandfather’s grandfather time, more than a century.
Pic Credits: exoticindiaart
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