Jai Shri Hari!
I hope you all are fine. So here I’m writing my poem “छोड़ आया हूं”.
Ham chal rahe hai zindagi ke sath…
A beautiful song is there: Mai Zindagi sath nibhata chala gaya…. Har Fiqar ko dhuen me udata chala gaya…
We have to live happily with awareness and mindfulness.
So here is my poem:
छोड़ आया हूं
नई राहों पर चलने के लिए,
पुरानी राहों को पीछे छोड़ आया हूं।
अपने आज को सही करने,
अपने अतीत से मुंह मोड़ आया हूं।
सफर में कई दोस्त मिले और बिछड़े,
दुखी हुआ, जो बिछड़े उनका साथ जो चाहता था,
लेकिन खुद को खुश देखने के लिए,
उनके साथ की चाह पीछे छोड़ आया हूं।
बंधन थे अनेक उड़ान रोकने को,
आज उन बंधनों को भी तोड़ आया हूं।
अब फर्क नहीं कि कौन क्या कह रहा है,
क्यूंकि उन बातों को सुनने वाले कान कहीं छोड़ आया हूं।
अनेक परेशानियां है यूं तो “अभि” जीवन में,
अपनी उन परेशानियों को भी आज पीछे छोड़ आया हूं।
Toota foota likhta hu apne jazbaton ko….
Prem mala me pirota hu apne jazbaton ko….
Likhna achha lagta hai pata nahi….
Lekin haan daba ke nahi rakhta apne jazbato ko….😍😍
Pic Credits: dreamsite.com
Thank you…
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