This bhajan is written by Amitabh Bhattacharya and sung by Amit Trivedi.
A beautiful bhajan for Mahashivratri
जय हो जय हो शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
आदि देव शंकरा
हे शिवाय शंकरा
तेरे जाप के बिना
भोलेनाथ शंकरा
चले ये सांस किस तरह
हे शिवाय शंकरा
मेरा कर्म तू ही जाने
क्या बुरा है क्या भला
तेरे रास्ते पे मैं तो
आँख मूँद के चला
तेरे नाम की जोत ने
सारा हर लिया तमस मेरा
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा
सृष्टि के जनम से भी ओ.
पहले तेरा वास था ओ.
ये जग रहे या ना रहे ओ.
रहेगी तेरी आस्था ओ.
क्या समय.. क्या प्रलय
दोनों में तेरी महानता
महानता.. महानता.
सीपियों की ओंट मैं
भोलेनाथ शंकरा
मोतियाँ हो जिस तरह
हे शिवाय शंकरा
मेरे मन में शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
तू बसा है उस तरह
हे शिवाय शंकरा.
मुझे भरम था जो है मेरा
था कभी नहीं मेरा
अर्थ क्या निरर्थ क्या
जो भी है सभी तेरा
तेरे सामने है झुका
मेरे सर पे हाथ रख तेरा.
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा.
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा.
चन्द्रमा ललाट पे
भस्म है भुजाओं में
वस्त्र बाघ छाल का
है खडाऊ पाँव में.
प्यास क्या और तुझे
गंगा है तेरी जटाओं में
जटाओं में
जटाओं में
जटाओं में.
दूसरों के वास्ते
भोलेनाथ शंकरा
तू सदैवे है जिया
हे शिवाय शंकरा
माँगा कुछ कभी नहीं
भोलेनाथ शंकरा
तूने सिर्फ है दिया
हे शिवाय शंकरा.
समुद्र मंथन का था समय जो आ पड़ा
द्वंद दोनों लोक में विशामृत पे था चिड़ा
अमृत से भी मैं बाँट के
प्याला विष का तूने खुद पिया.
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
हे त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा.
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा.
Many of you may know the meaning of this song but some of them don’t know the meaning so I want to convey the beautiful meaning of this song.
My beloved Supreme lord how do we breathe without changing your name. My karma is bestowed to you and only you decide my good and my bad. I blindly follow the path you have chosen for me. Your light flames my universe and consume my darkness. My beloved Kind Hearted Lord, you existed before the universe. Even if the world ends, mankind’s faith in you shall live on.
Whether we talk about time or destruction,
You are the originator of both. My Lord, Like a pearl in a shell you reside within me. You are the creator, you are the destroyer. Everything belongs to you. Bless me as I kneel my head in front of you. The moon resides on your forehead, the ash on your arms, and your attire is made of the skin of a tiger.
Why you will have thirst as the great Ganges River flows from your hair. For the sake of others, you have spent all your life
You never asked anything from anyone as you have only given to others. When it was the time of “Churning of the ocean” There was a feud between both the world for the distribution of poison and you distributed the nectar of immortality and drank the poison.
This bhajan makes Mahashivratri more holy.
Listen and sing it once. It will make your day.
Om Namah Shivaya!
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