हे मन! जा मिल परब्रह्म से जो अखंड दिव्यज्योत है,

 हे मन! जा मिल परब्रह्म से,

 जो आनंदघन स्रोत है ,

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो सब में ओतप्रोत है ,

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो वेदों का स्तोत्र है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो जीवन का नाद है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो शब्दों का आघात है,

हे मन!जा मिल परब्रह्म से, जो माया बनकर व्याप्त है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो माया के भी पार है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो ब्रह्मा का ब्रह्मांड है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो मृत्यु का भी प्राण है,

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो ज्ञान रूपी प्रकाश है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो अज्ञात अंधकार है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो यशोदा का लाल है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो राधा रूपी धार है ,

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो चैतन्य का विश्वास है,

 हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो नानक का ओंकार है ,

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो मीरा का अनुराग है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो शिव का वैराग्य है, 

हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो जगत का पालनहार है,

 हे मन! जा मिल परब्रह्म से, जो प्रलय महाकाल है, 

हे मन! जा मिल उस परब्रह्म से , जो तेरा प्रियतम तेरा प्यार है ,तेरा प्यार है… ।