Stream of Consciousness
चेतना की धारा

दो सप्ताहांत चलने वाली हमारी Write to Mindfulness’ workshop में मेधा श्री (कितना सुंदर नाम है ना) के साथ आज हमारा अंतिम दिन था।

‘चेतना की सतत धार -पर हम सबको कुछ लिख कर पोस्ट करने का काम मिला है। मेधा ने हमको समझाया कि जो भी अगड़म शगडम हमारे दिमाग में बिना किसी सीधी लाइन के विचार चलता रहता है वही कागज़ पर उतरना है। अरे! अंग्रेजी में वह जो जुमला है ‘I am thinking out loud’ बस वही thinking out loud करना है।

बीच में रोटी बनाने चली गई थी। भूख नही लग रही है अभी, तो अपने लिए नहीं बनाऊंगी पर आंटी मम्मी (मेरी सहेली की माँ) को दे दिया। उनको नींद आ रही थी। हर खाने के बाद बस लेट जाना होता है उनको। पेट में मेरे मीठा सा दर्द है। खाया तो ऐसा कुछ भी नहीं। शायद पानी फिल्टर वाला नहीं है उस से। पर पहाड़ों में कहां कोई फिल्टर करता है पानी।

उस दिन जब हल्द्वानी से shared taxi में आ रही थी और पानी की बोतल खरीदी थी तो उस आदमी ने कहा था, मैडम खरीदनी पड़ रही है वरना हम तो सोते (स्रोत) का ही पानी पीते हैं। मुझ से पैसे भी नहीं लिए थे उसने पानी की बोतल के। शायद Stream of Consciousness एक तकनीक होगी एकाग्रता या ध्यान करने की। वरना कहां तो ये दिमाग बंदर सा यहां वहां फुदकता रहता है और कहां आज एकदम खाली सा हो रहा है। ढील दे रही हूं कि इधर उधर भागे पर नहीं। सोच रही हूं चुटकी भर मीठा सोडा आधे कप में डाल के पी लूं। यह राम बाण दावा है अगर कभी यूं दर्द सा हो indigestion के कारण या एसिडिटी से तो। बस इतना बहुत है और ज़्यादा नहीं लिख सकूंगी इतनी एकाग्रता! मज़ा आ गया ! साक्षी बनकर स्वयं के ही विचारों की ऊहापोह को देखना, भई वाह मेधा, बहुत बहुत धन्यवाद।