Jai Shri Radhey Shyam!
Jai Shri Hari!
I offer my obeisance to the divine Lotus feet of Shri Gurudev Bhagwan.
This poem is showing my conversation with my heart today. Today’s meet was after a long time.
आज दिल से बात कर रहा था।
पूछा कैसे हो?
जवाब मिला:
जैसा छोड़ा था वैसा हूं।
बातचीत हुई…
काफी समय जो बीता था।
कुछ देर तो नाराज़गी रही,
फिर सोचा जो हुआ, है वही सही।
बहुत अच्छे दोस्त जो थे हम,
शायद इसलिए इतना दूर हुए थे हम।
दिल ने कहा आज क्या हुआ है,
मैंने कहा ठौर नहीं मिल रही,
क्यों हर राह में दिखता धुआं है।
रोया मैं दिल से मिलकर,
रोना ही था आज,
आंसू कहां आते सबके सामने निकलकर।
संबंध पुराना है हमारा,
तुम मेरे मैं बस तुम्हारा।
अब बात शुरू हुई लम्बे समय बाद,
बात करनी ही थे इस सबके बाद।
दिल तुमको अब और तोड़ना नहीं चाहता,
क्यूंकि अब किसी और को छोड़ना नहीं चाहता।
Thank you.
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